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न्यूज क्लिपिंग्स् | जीएसटी सरकार की बड़ी चुनौती- जयंती लाल भंडारी

जीएसटी सरकार की बड़ी चुनौती- जयंती लाल भंडारी

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published Published on Jan 8, 2016   modified Modified on Jan 8, 2016
पिछले वर्ष देश टैक्स सरलीकरण की दिशा में आगे नहीं बढ़ पाया। ग्लोबल कसंल्टिंग फर्म डेलॉइट ने एशिया पेसिफिक टैक्स कॉम्प्लेक्सिटी सर्वे में बताया है कि एशिया में भारत सबसे जटिल टैक्स नियमों वाला देश है और निवेशकों के लिए यही सबसे बड़ी चिंता की बात है। सर्वे में शामिल 81 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत में टैक्स नियम काफी कठोर हैं। इसीलिए इन दिनों दुनिया के आर्थिक संगठन और अर्थविशेषज्ञ एक स्वर में यह कह रहे हैं कि भारत में 2016 में आर्थिक विकास के लिए सबसे पहले टैक्सेशन और कारोबार प्रतिकूलताओं को दूर करना होगा।

इसी तरह अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम द्वारा जारी किए गए 'डूइंग बिजनेस इंडेक्स' में भी कहा गया है कि उद्योग-कारोबार चलाने के मद्देनजर टैक्सेशन संबंधी कठिनाइयों की दृष्टि से भारत में कारोबार की राह दूसरे देशों की तुलना में अधिक निराशाजनक है। ऐसे में वर्ष 2016 में सरकार को यह साफ-साफ ध्यान रखना होगा कि जब तक देश में टैक्स सरलीकरण नहीं होगा, तब तक विदेशी उद्यमियों के लिए भारत आना तथा देसी उद्यमियों द्वारा अच्छा कारोबार करना एवं निर्यात बढ़ाना आसान नहीं होगा। इनके साथ-साथ टैक्स से जुड़े वित्तीय विभागों और नियामक संस्थाओं को जवाबदेह बनाने की भी जरूरत है। भारत के लिए यह भी जरूरी है कि वह निजी और बहुपक्षीय निवेश को बढ़ावा देने के लिए टैक्स सरलीकरण की दृष्टि से कारोबार के अनुकूल नजर आए। देश का कारोबारी माहौल सुधारते हुए विदेशी निवेशकों को विश्वास दिलाना होगा कि भारत में विदेशी निवेश सुरक्षित व आकर्षक बना हुआ है। केंद्र को विश्व बैंक के उन सुझावों पर भी गौर करना होगा, जिनमें कहा गया है कि भारत में टैक्स नियम और वित्त क्षेत्र में सुधार किए जाने चाहिए।

बजट सत्र में सरकार के सामने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को पारित करवाने की चुनौती है। वर्तमान राष्ट्रीय एवं वैश्विक परिवेश में जीएसटी देश के लिए आर्थिक वरदान बन सकता है। यह आजादी के बाद सबसे बड़ा कर सुधार साबित होगा। हाल ही में वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने कहा है कि भारत में जीएसटी के शीघ्र लागू होने से निवेश की चमकीली संभावनाएं आकार ले सकती हैं। दुनिया के 150 से अधिक देशों में जीएसटी जैसी कर व्यवस्था लागू है। अब भारत में भी जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण कर सुधार से देश के विभिन्न राज्यों में एक ही वस्तु के अलग-अलग मूल्यों की जगह एक ही मूल्य दिखाई दे सकेगा।

अभी उपभोक्ता औसतन 22-23 फीसदी टैक्स चुका रहे हैं। यह टैक्स जीएसटी की शुरुआत में 22 फीसदी होने की बात थी। पर कांग्रेस का कहना है कि यह दर 18 फीसदी रहे। इसी तरह राज्यों को जो एंट्री टैक्स मिलता है, उसके लिए जो एक फीसदी इंटर स्टेट टैक्स की व्यवस्था है, उस परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस का कहना है कि सरकार इंटर स्टेट टैक्स न ले। जीएसटी में न तो पांच बड़े पेट्रोल उत्पाद शामिल हैं और न ही शराब, तंबाकू, सिगरेट जैसी हानिकारक वस्तुएं और इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी। ऐसी कुछ आधी-अधूरी व्यवस्थाओं के बाद भी जीएसटी बहुत उपयोगी साबित होगा। जीएसटी अनेक उत्पादकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगा कि वे खुद को कर व्यवस्था से जोड़ें, क्योंकि यदि वे ऐसा नहीं करेंगे, तो उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता में कमी आएगी। जाहिर है, नए वर्ष में जीएसटी पारित करवाना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।


http://www.amarujala.com/news/samachar/reflections/columns/gst-is-the-big-challange-of-government-hindi/


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