SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 206

वैश्वीकरण बनाम आदिवासी- हरिराम मीणा

जनसत्ता 29 जुलाई, 2013: भूमंडलीकरण का यह वह दौर चल रहा है जब सारे प्राकृतिक संसाधनों का फटाफट और अंधाधुंध दोहन कर लिया जाए, हो सकता है फिर ऐसा सुनहरा अवसर इन कंपनियों को मिले या न मिले। नई आर्थिक नीति की चरम परिणति जन-विरोधी वैश्वीकरण के रूप में अब सामने आ रही है। बहुराष्ट्रीय निगमों, उनको मॉडल मानने वाले देशी पूंजीपतियों और प्राकृतिक संसाधनों की बंदरबांट में लगे राजनीतिकों,...

More »

कहां पहुंची यह मूक क्रांति!- कमल नयन चौबे

प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री क्रिस्टोफ जेफरलॉट ने अपने लेख ‘कास्ट एंड राइज ऑफ माजिर्नलाइज्ड ग्रुप्स' में राजनीतिक रूप से शक्तिशाली रही अभिजन जातियों के वर्चस्व को चुनौती देते हुए मध्यवर्ती जातियों के उभार को सत्ता के हस्तांतरण के तौर पर देखा है और इसे एक मूक क्रांति की संज्ञा दी है.   लेकिन क्या यह मूक क्रांति वास्तव में अपने लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रही है? क्या जाति आधारित राजनीति में साधन यानी...

More »

हिमालय पर घात- श्रुति जैन

जनसत्ता 29 जून, 2013: उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में तबाही अभी थमी नहीं है और प्रधानमंत्री जम्मू कश्मीर में साढ़े आठ सौ मेगावाट की जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन कर आए हैं। विकास के नाम पर पिछले कुछ साल से जिस गति से पूरे हिमालय क्षेत्र में इन परियोजनाओं को बढ़ावा मिलता रहा है वह भयानक है। सभी प्रस्तावित परियोजनाएं क्रियान्वित हो जाएं तो हिमालय दुनिया में सबसे ज्यादा बांध घनत्व...

More »

ऐसे संघर्ष का औचित्य क्या है- विनोद कुमार

जनसत्ता 15 जून, 2013: बूर्जुआ राजनीतिक दलों और पुलिस प्रशासन की नजर में उग्रवादी, आतंकवादी, नक्सली और माओवादी, सभी एक हैं। उनकी नजर में तो यथास्थितिवाद का विरोध करने वाला हर आदमी नक्सली है। लेकिन इन सब में फर्क है। सबों के राजनीतिक दर्शन और लक्ष्यों में अंतर है। मोटे रूप में कहा जाए तो देश में सक्रिय उग्रवादी और आतंकवादी संगठन देश का विखंडन चाहते हैं, अलग देश की...

More »

मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर किसानों ने लगाया ग्रहण

अहमदाबाद। औद्योगिक विकास के रूप में गुजरात एक ओर देश के समक्ष मॉडल राज्य के रूप में उभर रहा है वहीं, दूसरी ओर खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के धालेरा स्थित ड्रीम प्रोजेक्ट स्पेशियल इन्वेस्टमेंट रिजन के खिलाफ 44 गांवों के किसान लामबद्ध हो गए हैं। किसान कहते हैं जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं, पुरखों की जमीन में से एक इंच जमीन सरकार को नहीं देंगे, सरकार ने अपनी नीति...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close