SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 402

ख्वाब नहीं, सुविधाएं दीजिए- भरत झुनझुनवाला

केंद्रीय हाउसिंग मंत्रलय ने गरीबों के लिए मकान बनाने को राज्य सरकारों से आग्रह किया है. मंत्रलय ने तीस लाख घर प्रति वर्ष बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस योजना को राज्य सरकारों के माध्यम से लागू किया जायेगा. योजना के अंतर्गत गरीब परिवारों को ब्याज पर 6.5 प्रतिशत की सब्सिडी दी जायेगी. यदि गरीब परिवार को बैंक से 12 प्रतिशत की दर से ऋण मिलता है, तो उसे...

More »

अनिश्चितता का माहौल, टूट रही है मनरेगा से रोजगार की आस

रायपुर(ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को लेकर अनिश्चितता का माहौल इस कदर है कि राज्य में रोजगार की मांग करने वाले लाखों लोगों को काम नहीं मिल रहा है। कारण यह है कि जिलों में सरपंचों से लेकर अफसरों तक को आशंका है कि काम करवाने के बाद भुगतान कब होगा? हालत यह है कि छत्तीसगढ़ में रोजगार की मांग करने वाले परिवारों की संख्या...

More »

मनरेगा से दूर हो रही है गरीबी-- नई रिपोर्ट

मनरेगा केंद्रित एक नये अध्ययन में कहा गया है कि ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देने वाले इस कार्यक्रम से गरीबी के निवारण में मदद मिली है.   नेशनल काऊंसिल ऑफ अप्लॉयड रिसर्च और यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2004-05 से 2011-12 के बीच मनरेगा के कारण इसमें काम पाने वाले लोगों के बीच 32 प्रतिशत गरीबी घटी है. (देखें सबसे नीचे दी गई...

More »

गरीबी से जंग के भोथरे हथियार- रीतिका खेड़ा

पिछले दिनों न्यूयॉर्क टाइम्स में (अमर उजाला में भी, 24 जुलाई) प्रकाशित अपने लेख में सरकार के आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और अर्थशास्त्री सिद्धार्थ जॉर्ज ने नकद हस्तांतरण को लेकर कुछ ज्यादा ही सरल और आशावादी विश्लेषण पेश किया। मगर नकद हस्तांतरण की मौजूदा व्यवस्‍था में इतनी त्रुटियां है, जिन्हें दूर किए बगैर खाद्य हस्तांतरण को नकद व्यवस्‍था में बदलने का सपना देखना बड़ी भूल होगी। जबकि 'जेएएम' (जैम-जनधन, आधार,...

More »

गांव और गरीब की चिंता कब?- अश्विनी महाजन

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आर्थिक, सामाजिक गणना के आंकड़े हाल ही में प्रकाशित किये गये हैं. ये आंकड़े भारत में गरीबों की वर्तमान दुर्दशा की कहानी बयान कर रहे हैं. चिंता का विषय केवल यह नहीं है कि गरीबों की हालत खराब है, बल्कि वह पहले से तेज गति से बदतर होती जा रही है. गौरतलब है कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ही ये...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close