विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...
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हाईस्कूल तक मुफ्त पढ़ाई की तैयारी- राजकेश्वर सिंह
नई दिल्ली छह से चौदह साल तक के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य पढ़ाई का कानूनी इंतजाम करने के बाद अब उसके आगे की राह भी आसान करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। केंद्र सरकार अब माध्यमिक स्तर (कक्षा नौ व दस) के छात्रों को भी मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा दिलाने का मन बना चुकी है। देर है तो बस राज्य सरकारों की रजामंदी की। राज्यों ने हामी भरी तो...
More »गरीबों की पढ़ाई का खर्च नहीं देगी सरकार
शिमला। प्रदेश सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले बच्चों के लिए तय 25 फीसदी सीटों का खर्च उठाने से साफ इनकार कर दिया है। सरकार का तर्क है कि जब डेढ़ से तीन किलोमीटर के दायरे में सरकारी स्कूल खोले गए हैं तो फिर प्रदेश सरकार निजी स्कूलों में गरीबों की पढ़ाई का खर्च क्यों उठाए। यह खर्च प्रदेश सरकार...
More »स्कूलों को पोल-पट्टी खुलने का भय
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : निजी स्कूलों की बेहिसाब कमाई और हेराफेरी का खुलासा न हो जाए, इसलिए स्कूल प्रशासन गरीबी कोटे के तहत 25 फीसदी सीटों पर दाखिले का विरोध कर रहे हैं। सरकार आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलों को आर्थिक सहायता देगी तो उनके बही-खातों को ऑडिट भी करेगी। ऐसे में उनकी कमाई व हेराफेरी का खुलासा हो जाएगा, जो उनके लिए परेशानी...
More »अनपढ़ रखने की साजिश!
जयपुर. भाजपा राज में गरीब बच्चों की पढ़ाई के प्रति आकर्षित करने के लिए नगर निगम द्वारा शुरू किए गए ‘हॉल इन द वॉल’ प्रोजेक्ट की सभी इकाइयों पर दलीय राजनीति के चलते ताले लग गए। इस प्रोजेक्ट को संचालित करने वाले एनजीओ हाईवेल ने करार खत्म होने के बाद बोरिया-बिस्तर समेट लिया। नगर निगम के संबंधित अधिकारी-कर्मचारी जब प्रोजेक्ट का संचालन नहीं कर पाए तो सभी इकाइयां बंद कर दीं। अब...
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