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हरियाणा में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद 30 नवंबर तक सभी स्कूल फ़िर बंद

-द वायर, हरियाणा में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सभी स्कूलों को 30 नवंबर तक बंद रखने का निर्देश दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार शाम तक हरियाणा के विभिन्न जिलों में 300 से अधिक स्कूली बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए छात्रों में से अधिकांश बिना लक्षण के थे. कुछ में सर्दी, खांसी...

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पेरेंट्स चाहते हैं कि स्कूल फिर से खुलें, ऑनलाइन कक्षाएं कारगर नहीं- अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की स्टडी

-द प्रिंट, बेंगलुरू स्थित अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की पांच राज्यों में की गई एक स्टडी में पता चला है कि पब्लिक स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा कारगर साबित नहीं हो रही है और स्कूलों के फिर से खुलते ही पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं. मिथ्स ऑफ ऑनलाइन एजुकेशन नामक इस स्टडी में, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में 1,522 पेरेंट्स और 398 टीचर्स से सवाल किए गए थे. सोमवार...

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कब मिलेगी प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा?

-न्यूजक्लिक, वैसे तो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के कल्याण के संरक्षण को लेकर कई कानून मौजूद हैं, लेकिन वे शायद ही कभी अमल में लाये जाते हैं। एक आदिवासी प्रवासी महिला की मौत ने जो कि भिवंडी के नजदीक धान के खेतों में काम करती थी, की मौत ने प्रवासी मजदूरों की सामजिक सुरक्षा की जरूरत को एक बार फिर से रेखांकित किया है। चालीस वर्षीया चन्द्राबाई थालेकर, जिनके तीन...

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चेतावनी : पटाखे बना सकते हैं दिल्ली को गैस चैंबर, खतरनाक पीएम 2.5 बढ़ने से बढ़ सकती हैं अतिरिक्त मौतें

-डाउन टू अर्थ, दिल्ली-एनसीआर समेत खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों में यदि कोविड महामारी के दौर वाली 2020 की दीपावली में भी अदालत व अन्य आदेशों का उल्लंघन करते हुए पटाखे दगाए या जलाए जाते हैं तो यह न सिर्फ शहरों को गैस चैंबर में बदल सकता है बल्कि अतिरिक्त मौतों का कारण भी बन सकता है।   दीपावली में पटाखे जलाए जाने के दौरान कारण यह पाया गया है कि इससे...

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महामारी के दौर में बहुआयामी गरीबी के चक्र में फंसे लोग, 3 से 10 साल तक पिछड़ सकते हैं विकासशील देश!

बहुआयामी गरीबी मौद्रिक यानी पैसे आधारित गरीबी नहीं है बल्कि यह गैर-मौद्रिक आधारित गरीबी है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की चुनौतियों से दृढ़ता से जुड़ी है. हालाँकि पहले गरीबी को केवल मौद्रिक यानी धन आधारित गरीबी के संदर्भ में ही परिभाषित किया गया था, लेकिन अब गरीबी को लोगों के अनुभवों की जीवंत वास्तविकता और उनके द्वारा भोगे जाने वाले अनेकों अभावों से जोड़कर देखा जाता...

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