जनसत्ता 22 फरवरी, 2014 : यूपीए सरकार और राजग सरकार और यहां तक कि ‘तीसरे मोर्चे’ की अल्पायु सरकार भी आर्थिक नीतियों के मामले में एक जैसी ही रहीं। आज भी, जब चुनावी विकल्प के रूप में राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी का शोरशराबा हो रहा है, आर्थिक नीतियों के स्तर पर शायद ही कोई बुनियादी फर्क हो। सच्चाई तो यह है कि मोदी खुद इस बात पर जोर देते...
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भारत को गरीब बनाया गया है- तवलीन सिंह
जब भी वापस आती हूं वतन किसी विदेशी दौरे के बाद, तो कुछ दिनों के लिए मेरी नजर विदेशियों की नजरों जैसी हो जाती है। बिल्कुल वैसे, जैसे आमिर खान के नए टीवी इश्तिहार में दर्शाया गया है। मुझे भी जरूरत से ज्यादा दिखने लगती हैं भारत माता के 'सुजलाम, सुफलाम' चेहरे पर गंदगी के मुहांसे, गंदी आदतों की फुंसियां और गलत नीतियों के फोड़े। मुझे आश्चर्य हो रहा है अपने देश...
More »चुनौती है पहचान की राजनीति- सुभाषिनी अली
इस वर्ष की शुरुआत कमोबेश उसी तरह की घिनौनी घटनाओं के साथ हुई, जिनके साथ 2013 का अंत हुआ था। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले की एक आदिवासी पंचायत ने अपने ही समुदाय की एक 20 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किए जाने का फरमान जारी कर दिया और दिल्ली के लाजपत नगर मार्केट में अरुणाचल प्रदेश के एक 19 वर्षीय नौजवान को लाठी-सरियों से इतनी बुरी तरह पीटा गया कि...
More »हमारी विकास नीति में उनकी जगह- सुनील
कुछ साल पहले की बात है। दिल्ली जाने पर मैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एक प्राध्यापक से मिलने गया था। चर्चा के दौरान मैंने कहा कि पांचवें-छठे वेतन आयोग ने प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अफसरों-प्रोफेसरों के वेतन बहुत बढ़ाए हैं, जिससे समाज में गैरबराबरी और उपभोक्ता संस्कृति को बढ़ावा मिला है। उन्होंने तुरंत उसका बचाव करते हुए कहा कि वेतन बढ़ाना जरूरी है, नहीं तो विश्वविद्यालय में...
More »बालू के बवंडर से बदला फैसला
बालू ही नहीं डेढ. दर्जन से अधिक ऐसे लघु खनिज हैं, जिस पर सीधा हक ग्रामसभा व पंचायत का बनता है. अगर कोई सरकार बड़ी कंपनियों के माध्यम से इसकी नीलामी कर इसके निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ती है, तो यह कोशिश ही संविधान की मूल भावना पर चोट है. अगर राजस्व संग्रह, कानून व्यवस्था और पर्यावरण अनुमति का सवाल है, तो यह राज्य सरकार का काम है और...
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