शिक्षकों की संख्या में भारी कमी शिक्षा के बुनियादी अधिकार को साकार कर पाने में बड़ी बाधा है साथ ही शिक्षकों से पढ़ाई के अतिरिक्त लिया जा रहा काम उनके उत्साह को तोड़ने वाला एक बड़ा कारण। सर्वशिक्षा अभियान से जुड़े आधे से ज्यादा शिक्षक नहीं चाहते कि उन्हें जनगणना के काम, चुनाव कार्य या मिड डे मील जैसी गतिविधियों में लगाया जाय। योजना आयोग से संबद्ध प्रोग्राम इवैल्यूशन आर्गनाइजेशन की...
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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »गांठ बांध लिया सादगी का मंत्र
तरनतारन [लुधियाना],[धर्मवीर मल्हार]। आज की नई पीढ़ी से अगर किसी राजनेता की बात की जाए तो उसकेजेहन में क्या छवि उभरेगी। यही ना, साफ-शफ्फाक लंबा कुर्ता-पायजामा, हाथ में ब्लैकबेरी फोन, अगल-बगल में एक दो गनर और नीचे कोई लंबी सी चमचमाती कार। लेकिन इसकेठीक उलट अगर आप तरनतारन जिले के गाव तुड़ की गलियों में पुरानी सी साइकिल पर आते-जाते और हाथ में फावड़ा-कुदाल लिए तरलोचन सिंह तुड़ को देखें तो...
More »कोटेदार ने बेच ली गरीबों की चीनी
रायबरेली। कोटेदार ने गरीबों चीनी खुलेआम बेच दी। इसका खुलासा उस समय हुआ जब कोटेदार के यहां से ब्लैक होकर जा रही चीनी को ग्रामीणों ने पकड़ कर पूर्ति निरीक्षक के हवाले कर दिया। पूर्ति निरीक्षक ने मामले की जांच रिपोर्ट उपजिलाधिकारी सौंप दी है। पूर्ति निरीक्षक लालगंज सुशील चंद्र बाजपेयी ने एसडीएम को दी रिपोर्ट है कि बंडई निवासी सूर्य कुमार सिंह व निरंजन सिंह ने बिंदादीन को एक बोरी चीनी के साथ...
More »भूखे बुंदेलों के हक पर अमीरों का डाका
उरई। बुंदेलखंड के बीहड़ में बसे गांवों के लोग भुखमरी के मुहाने पर खडे़ हैं। उरई जिले के नंदीगांव व रामपुरा ब्लाकों के दर्जनों गांवों के बाशिंदों के घरों में महीने में बमुश्किल 15 दिन ही चूल्हा जलता है और वह भी एक समय। ज्यादातर भूमिहीन और गरीबों के पास बीपीएल और अंत्योदय कार्ड तक नहीं हैं। पूरा भोजन ना मिलने से महिलाएं, पुरुष और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। दलित बाहुल्य गांवों की हालत...
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