लगभग दो दशक पहले जब राजस्थान के गांवों में रोजगार और मजदूरी के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के बीच सूचना के कानूनी अधिकार के विचार ने आकार ग्रहण करना प्रारंभ किया, तब बहुत कम लोगों ने यह अनुमान लगाया होगा कि यह विचार इस विशाल देश में लोकतंत्र के स्वरूप को बदल देगा और उसकी जड़ों को और मजबूत बना देगा। आधुनिक भारत में राज्यतंत्र का दखल हमारे जीवन के...
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यूपी में किसान आंदोलन को फिर आग
लखनऊ [अवनीश त्यागी]। भट्टा पारसौल कांड से सुलगे भूमि अधिग्रहण विवाद की आग सियासी झोंकों से फिर भड़काने की तैयारी है। विपक्षी दल बसपा सरकार की नई अधिग्रहण नीति का जवाब देने की तैयारी कर चुके हैं। भाजपा व कांग्रेस जमीनी जंग के मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं तो सपा राष्ट्रीय अधिवेशन में इसके खिलाफ रणनीति बनाएगी। बीते हफ्ते लखनऊ में मुख्यमंत्री मायावती ने पहली बार किसान...
More »माया का नहले पर दहला: उत्तर प्रदेश में नई भूमि अधिग्रहण नीति लागू
लखनऊ। भूमि अधिग्रहण और मुआवजे पर किसान आंदोलनों से चौतरफा घिरी उत्तरप्रदेश सरकार ने गुरुवार को किसान पंचायत के साथ ही नई अधिग्रहण नीति की घोषणा की। यह नीति तत्काल लागू भी कर दी गई है। नई नीति के अनुसार डेवलपर्स को परियोजना के लिए चिह्नित भूमि से जुड़े कम से कम 70 प्रतिशत किसानों को सहमत करना होगा। इसके बाद आपसी सहमति के आधार पर पैकेज तैयार कर किसानों से सीधे...
More »जन्म से बंधी सामाजिक बेड़ियां : हर्ष मंदर
लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...
More »लोकतंत्र का लट्ठ- रेयाज उल हक (तहलका)
भट्टा-पारसौल में जो हुआ और जिस अंदाज में हुआ उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार को असहमति और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार की जरा भी परवाह नहीं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट अगर यह लोकतंत्र है तो भट्टा-पारसौल के लोगों ने इसका मतलब देखा और महसूस किया है. देश की संसद से बमुश्किल 70 किलोमीटर दूर बसे 6000 जनों की आबादी वाले इस गांव ने लोकतंत्र को गोलियों के रूप...
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