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गन्ना पर गरम हो रही यूपी की किसान राजनीति

-इंडिया टूडे, उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में अब एक साल से कुछ ही ज्यादा समय बाकी रह गया है. ऐसे में गन्ना के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर किसान राजनीति भी तेज होने की भूमिका बननी शुरू हो गई है. कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन से प्रदेश सरकार पर गन्ना मूल्य बढ़ाने का दबाव बनाने की रणनीति किसान संगठनों ने बनाई है. उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक...

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किसानों के विरोध को ना मैनेज कर पाना दिखता है कि मोदी-शाह की BJP को पंजाब को समझने की जरूरत है

-द प्रिंट, भाजपा को राजनीति की कितनी समझ है? अगर आप इस तरह का सवाल पूछने की कोशिश भी करेंगे तो लोग आपसे यही कहेंगे कि जाइए पहले अपने दिमाग का इलाज करवाइए. इसमें कोई शक नहीं कि राजनीति की उसकी समझ और किसी और की समझ में उतना ही अंतर है जितना लोकसभा की 303 और 52 सीटों में अंतर है. तब आप शायद सवाल को और बारीकी से उठाएंगे और...

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'चलो दिल्ली' पर बोले बलवीर सिंह राजेवाल- "हमें रोका गया तो दिल्ली-हरियाणा को चारों तरफ से घेरेंगे, किसान के पास मरने के सिवा कोई विकल्प ही नहीं"

-गांव कनेक्शन, "कोरोना हो या लॉकडाउन हो, हमें फर्क नहीं पड़ता। देखिए किसान को तो मरना ही है। कोरोना नहीं मार पाएगा तो मोदी सरकार की नीतियां मार देंगी। काले कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच तय है। अगर हमें हरियाणा वाले रोकेंगे तो हरियाणा को चारों तरफ से घेर लेंगे और दिल्ली को यूपी वाले यूपी की तरफ से राजस्थान वाले राजस्थान की तरफ से, जो जहां रोका जाएगा डेरा डाल...

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मनु का क़ानून और हिंदू राष्ट्र के नागरिकों के लिए उसके मायने

-द वायर, हाल ही में चेन्नई में भाजपा ने अपनी नई नेता खुशबू के नेतृत्व में तमिलनाडु के सांसद थिरुमावलवन द्वारा मनुस्मृति के बारे में की गई टिप्पणियों के विरोध में प्रदर्शन किया गया था. यह शायद भाजपा द्वारा मनुस्मृति के समर्थन में पहला सार्वजनिक प्रदर्शन था. ऐसा लगता है कि संघ परिवार अब खुलकर इस पुरातन ग्रंथ के पक्ष मे हमलावर रुख अपनाकर सामने आना वाला है. दरअसल, 5 अगस्त 2019...

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भारतीय सेंटीमेंट्स और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाता ओडीओपी

-आउटलुक, भारत ने विकासक्रम में अपनी संस्कृति और अध्यात्म की वृहत परम्परा का विकास तो किया ही साथ ज्ञान, विज्ञान, कला तथा उद्यम की ऐसी शैलियों का निर्माण किया जो भारत की विशिष्ट पहचान बनीं। इन शैलियों का उद्भव देशज था लेकिन पहुंच राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय। इसी निर्मित हुयी अर्थव्यवस्था ने भारत में नगरीय क्रांतियों को संपन्न किया और गांवों को भी रिपब्लिक की हैसियत तक पहुंचाया। शायद यही वजह है...

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