SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 208

छुआछूत अब भी जारी है....

अनदेखी और उपेक्षा के बीच छुआछूत का बरताव जारी है और देश में अस्पृश्यता की समस्या मौजूद है। यह लाखों लोगों के लिए उम्र भर दुःख और अपमान के बीच रहने और जीने का मामला है। इसकी कल्पना बरतर सामाजिक हालातों में जीने वाले नहीं कर सकते लेकिन जैसा कि गुजरे 14 अप्रैल, 2012 से शुरु हुए अनुच्छेद 17 अभियान के अंतर्गत इंडिया अनहर्ड द्वारा जारी 22 छोटे और आसानी...

More »

सीएसई मीडिया फैलोशिप- आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तारीख बढ़ी

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट(सीएसई) ने मीडिया फैलोशिप-2012 के अन्तर्गत आमंत्रित आवेदन-पत्र जमा करने की अंतिम तारीख बढ़ा दी है। यदि आपकी दिलचस्पी पर्यावरणीय मुद्दों में है तो कृपया सीएसई द्वारा जारी की गई अधिसूचना को इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज की वेबसाइट के अंग्रेजी संस्करण में ध्यान से पढ़ें और मीडिया फैलोशिप के लिए आवेदन करें। अधिसूचना के साथ उक्त फैलोशिप से जुड़ी शर्तें भी दी गई हैं। इन सूचनाओं को सीएसई की वेबसाइट (http://www.cseindia.org/) पर...

More »

मनरेगा का कायाकल्प- मिहिर शाह समिति की सिफारिशें

रोजगार के लिए अर्जी देने वाले लोगों को साल में प्रति दिन 100 रुपये की मजदूरी के हसाब से अधिकतम 100 दिन के काम की गारंटी देने वाले कार्यक्रम मनरेगा का योजना आयोग के सदस्य मिहिर शाह की आध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर कायाकल्प होने जा रहा है। उन सिफारिशें का जिक्र नरेगा-2.0 कहलाने वाले महात्मा गांधी नेशनल रुरल एम्पलॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005- ऑपरेशनल गाईडलाइन्स नामक...

More »

असम के चाय-बागान में भुखमरी से मौत

इतिहासकार बताते हैं कि अंग्रेजीराज के समय देश के पूर्वोत्तर के चाय-बागानों में काम करने वाले मजदूर बड़ी दीन-दशा में थे, तकरीबन बंधुआ मजदूर की दशा में। आजादी के बाद, इनकी दशा कुछ सुधरी। गुजरे कुछ दशकों में देश के चाय-उद्योग ने उन सालों में भी मुनाफा कमाया जिन सालों को आर्थिक-प्रगति के लिहाज से बेहतर नहीं माना जाता। ठीक इसी कारण, असम के चाय-बागानों से आने वाली भुखमरी की...

More »

नहीं थम रहा ओडिसा में भुखमरी की मौतों का सिलसिला- एशियन ह्यूमन राइटस् कमीशन

प्रचलित मान्यता है कि अधिकारियों तक सूचना नहीं पहुंच पाती कि कौन सा व्यक्ति भुखमरी की चपेट में आने वाला है, इसलिए किसी व्यक्ति की भुखमरी से मौत हो जाती है। लेकिन जब प्रशासन को पहले से खबरदार किया जा चुका हो फिर भी किसी की भुखमरी से मौत हो तो क्या यह किसी की हत्या करने सरीखा नहीं माना जाएगा? एशियन ह्यूमन राईटस् कमीशन की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है उड़ीसा में...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close