हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...
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बाढ़: राज्य ने केंद्र से मांगे 525 करोड़
भोपाल. प्रदेश में बाढ़ के कारण बिगड़े हालात व आपदा से निपटने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र सरकार से 525 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता मांगी है। शनिवार को दिल्ली में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से उनके निवास पर मुलाकात की और प्रदेश की स्थिति से अवगत कराया।...
More »त्रासदी की नींव पर घटती त्रासदी
भोपाल के यूनियन कार्बाइड परिसर में दबाए गए जहरीले कचरे नेआस-पास के भूजल को मानक स्तर से 561 गुना ज्यादा प्रदूषित कर दिया है. शिरीष खरे की रिपोर्ट. सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख और लंदन ओलंपिक में भोपाल गैस कांड के मुख्य आरोपित डाउ केमिकल्स कॉरपोरेशन को शीर्ष प्रायोजक बनाने से उठे विरोध के बीच आखिरकार केंद्र सरकार ने यूनियन कार्बाइड कारखाने की चारदीवारी में रखे 340 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को जलाने के...
More »भूखे पेट सोते लोगों की सुध नहीं - बाबूलाल नागा
हाल में देश में बर्बाद हो रहे अनाज को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए आदेश दिया कि उन अधिकारियों की तनख्वाह काट ली जानी चाहिए जिनकी वजह से अनाज सड़ता है। अदालत ने कहा कि एफसीआई या राज्य के गोदामों में अनाज ठीक ढंग से नहीं रखा जाता है। ऐसे में निगरानी विभाग और पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को उन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पिछले...
More »गंगा के गुनहगार- स्वामी आनंदस्वरुप
जनसत्ता 12 जुलाई, 2012: गंगा का नाम लेने मात्र से पवित्रता का बोध होता है। यह देश की एकता और अखंडता का माध्यम और भारत की जीवन रेखा के अतिरिक्त और बहुत कुछ है। गंगा जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी दोनों है। आज भी लगभग तीस करोड़ लोगों की जीविका का माध्यम है। मगर पिछली डेढ़ सदी से गंगा पर हमले पर हमले किए जा रहे हैं और हमें जरा भी अपराध-बोध नहीं...
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