आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी जो बातें भारत के लिए शर्म की बड़ी वजह बनी हुईं हैं बालश्रम को अगर उनमें सबसे ऊपर रखा जाए तो गलत नहीं होगा। आज भी हमारे देश में करोड़ों बच्चे खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में खेतों से लेकर होटलों और खतरनाक उद्योगों तक में अत्यंत विकट परिस्थितियों में जीतोड़ मेहनत करने के लिए मजबूर हैं। बेफिक्री की उम्र में ही उनके ऊपर इतनी...
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कई गांवों पर मंडरा रहा है खतरा
नवगछिया : अनुमंडल में इस बार बाढ़ से पूर्व की तैयारी काफी लचर है. बांधों की वर्तमान स्थिति जर्जर है. ऐसे में अब तक एक भी बांध का मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ है. कई जगहों पर सुल्इस गेट खुले है. इससे कई गांवों पर गंगा कोसी नदियों के बाढ़ का खतरा है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन द्वारा अभी भी बांध की मरम्मत नहीं की जाती है,...
More »स्कूल में सीखेंगे किसानी
भोपाल. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को खेती-किसानी की जानकारी देने के लिए कृषि को बतौर विषय पाठ्यक्रम में शामिल करने की कवायद अंतिम चरण में पहुंच गई है। लोक शिक्षण संचालनालय में हुई एक बैठक में पाठ्यक्रम का मसौदा तैयार किया गया है, जिसे 28 जून को शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। यह पहला मौका...
More »धरती से 60 करोड़ लोगों का वजूद मिटने की रफ्तार बढ़ी, 21वीं सदी तक आएगा खतरा
लंदन. दुनिया की 60 करोड़ की आबादी का वजूद 21 वीं सदी की शुरुआत तक मिट सकता है। इसकी वजह है ग्लोबल वॉर्मिंग (धरती का बढ़ता तापमान)। ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते इस समय समुद्र का स्तर पिछले 2,100 सालों में सबसे ज़्यादा तेजी से बढ़ रहा है और 21 वीं सदी तक समुद्र में पानी का स्तर 190 सेंटी मीटर तक बढ़ने की आशंका है। वैज्ञानिकों का दावा है कि समुद्र का...
More »सारण में घट रहा महिला लिंगानुपात
छपरा : सरकार आधी आबादी को समान अधिकार एवं उनकी सामाजिक पकड़ मजबूत बनाने के लिए तरह-तरह का प्रोत्साहन देने वाली योजनाएं चला रही है. बावजूद हमारे समाज में अभी भी कन्याओं के प्रति रवैया नकारात्मक है. इसका ताजा उदाहरण भारत सरकार द्वारा करायी गयी. जनगणना 2011 के औपबंधिक आंकड़े से सामने आया है. इन आंकड़ों के अनुसार पूर्व की जनगणना 2001 में वर्ष 1991 से 2001 के बीच जिले...
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