-आउटलुक, “महामारी की भयंकर दूसरी लहर में बेबस लोग अस्पताल, ऑक्सीजन, दवाइयों के अभाव में बेमौत मरने को मजबूर, सारा ढांचा चरमराया, सत्ता के अपने खेल में मस्त लापरवाह सरकार की खुली पोल” हर तरफ मौत, मायूसी, बेबसी जैसे पसरी हुई है। जो चंद दिनों पहले कोरोना पर विजय का दंभ भर रहे थे, वे किन्हीं छद्म के आवरणों में छुप गए हैं। किसी को कुछ सूझ नहीं रहा है। ऐसे मंजर...
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मंडी, मार्केट और मोदी
-कारवां, अगर हम नरेन्द्र मोदी सरकार और नवउदारवादी टिप्पणीकारों पर यकीन करें तो सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने वाले एक लाख से अधिक किसान, जिनमें से अधिकांश ने अपने खेतों पर काम करके, फसल पैदा कर और स्थानीय मंडियों में उसे बेचकर जिंदगी गुजारी है, खेती किसानी के बारे में कुछ नहीं जानते और उन्हें शरारती तत्वों द्वारा गुमराह किया जा रहा है. वे यह नहीं महसूस कर रहे हैं...
More »'पक्ष'कारिता: आज मर रहे पत्रकारों को बचाइए, उम्मीद बची तो कल पत्रकारिता भी बच जाएगी
-न्यूजलॉन्ड्री, कोविड-19 के कसते शिकंजे के आलोक में हिंदी के ज्यादातर अखबारों के अचानक बदले चरित्र और जनपक्षधर रिपोर्टिंग पर पिछले अंक में एक सरसरी तौर पर इशारा था, हालांकि वह स्तम्भ बंगाल चुनाव पर केंद्रित था. अखबारों का आलोचनात्मक रुझान अब भी कायम है, बल्कि और तीखा हुआ है. अच्छी बात यह है कि छोटे-छोटे शहरों के अखबारी संस्करणों और छोटे प्रकाशनों (मुद्रित और ऑनलाइन) में जनता के दुख-दर्द की...
More »बिहार के चौसा गांव के लोगों का दावा, नदी में तैरती लाशें गांव वालों की
-कारवां, 10 मई को बिहार के बक्सर जिले के चौसा गांव में गंगा नदी के घाट पर दर्जनों शव पानी में तैरते मिले. घाट से लगभग 500 मीटर के दायरे में मिले ये शव संभवत: कोविड-19 रोगियों के थे. सुबह जब गांव के लोगों ने शव देखे तो स्थानीय अधिकारियों को सूचना दी. बक्सर के उप-विभागीय अधिकारी के. के. उपाध्याय ने मुझे बताया कि शव क्षत-विक्षत हालत में थे और सड़ रहे...
More »दूसरी लहर ग्रामीण जीवन पर कहर बरपा रही है, क्या यह ग्रामीण आजीविका को भी प्रभावित करेगी?
इस साल मार्च के बाद से हर रोज कोविड-19 के नए मामलों और मौतों में वृद्धि होने के बाद मीडिया ने रिपोर्ट (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) किया कि प्रवासी कामगार अपने प्रवास स्थलों से मूल स्थानों (यानी मूल स्थानों) पर वापस लौट रहे हैं. शहरों और बड़े औद्योगिक कस्बों में जहां समाज के हाशिए के वर्गों से अनौपचारिक और कम कुशल श्रमिक मौसमी रूप से प्रवास करते हैं,...
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