किसी भी व्यक्ति के विचार को गढ़ने में, विचारों के संचरण में मीडिया का रोल काफी अहम है. विचारों के प्रसार में सोशल मीडिया का भी अपना महत्व है, जिसका प्रयोग कर विभिन्न राजनीतिक दल अपनी ताकत को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके जरिये न सिर्फ वाद-विवाद को जन्म दिया जाता है, बल्कि अपनी नीतियों, अपने कार्यो, अपने नेताओं के बारे में जानकारी भी जनता तक पहुंचायी जाती है. भाजपा ने...
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गुजरात के विकास का सच- नीलांजन मुखोपाध्याय
चुनावी सरगर्मियों के बीच गुजरात में यह देखना दिलचस्प होगा कि वहां सामाजिक समावेश की दिशा में सरकार ने अब तक कौन-से कदम उठाए हैं। हाल के तमाम साक्षात्कारों में नरेंद्र मोदी यह दावा करते आए हैं कि वह अपने नागरिकों के साथ समान व्यवहार करेंगे। मगर गोधरा शहर से थोड़ी दूर रहने वाली तीन मुस्लिम लड़कियों की कहानी गुजरात सरकार के दावे से ठीक उलट है, जो इस चुनाव...
More »उत्तराखंड आपदा के लिए हाइड्रो प्रोजेक्ट जिम्मेदारः रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है रोक उत्तराखंड में पिछले साल आई आपदा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2014 में ही राज्य में कोई भी नई पनबिजली परियोजना शुरू करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद अदालत ने ऐसी परियोजनाओं से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार को...
More »मजदूरों के हित में कई कानून
मित्रों, मई दिवस दुनिया भर में मजदूर दिवस के रूप मे मनाया जाता है. अपने देश में भी उस दिन मजदूर दिवस मनाया जाता है और मजदूरों के हितों से जुड़े विषयों पर हर स्तर पर बहस होती है. इस बहस के नतीजे भी आते रहे हैं. मालिक और मजदूर तथा काम लेना वाला और काम करने वाला यह दो वर्ग इस बहस का मुद्दा होता है. अगर उद्योगपतियों को छोड़...
More »खेती-किसानी के मुद्दे गायब हैं चुनाव से- महक सिंह
चुनाव के दौरान सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और व्यक्तिवाद की बातें की जा रही हैं, पर गांव, खेती और 54 प्रतिशत जनता के मुद्दे गौण हैं। कृषि क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पूंजी निर्माण और कृषि निर्यात लगातार घटते जा रहे हैं। 1950-51 में जीडीपी में कृषि की भागीदारी 53.1 प्रतिशत थी, जो 2012-13 में घटकर 13.7 प्रतिशत रह गई। गांव-शहर तथा किसान-गैर किसान के बीच खाई बढ़ती जा रही है।...
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