SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2954

समझें महिला सशक्तीकरण के सही मायने - क्षमा शर्मा

कुछ दिन पहले एक महिला वकील ने मुंबई में रात को शराब के नशे में गाड़ी सोते हुए लोगों पर चढ़ा दी थी। दो-तीन दिन पहले एक डिजाइनर ने एक चाय के ढाबे में शराब के नशे में ही गाड़ी दे मारी और दो रोज पूर्व गुड़गांव में ऐसा हुआ। कुछ लोग कह सकते हैं कि पुरुष तो सैकड़ों की संख्या में ऐसी दुर्घटनाएं करते हैं। दो-तीन महिलाओं ने ऐसा...

More »

सरकार ने स्वच्छ भारत के विज्ञापन पर खर्चे 94 करोड़

नई दिल्ली। "स्वच्छ भारत अभियान" से देश की साफ-सफाई पर जो भी असर पड़ा हो, लेकिन इसके प्रचार-प्रसार में सरकार कोई कमी नहीं रहने देना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिय अभियान के विज्ञापन पर केंद्र महज एक साल में 94 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। सूचना अधिकार कानून के तहत पूछे गए सवालों के जवाब में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। स्वच्छता अभियान के...

More »

RTI के दायरे में लाने के मामले में केंद्र व EC सहित 6 पार्टियों को नोटिस

नई दिल्‍ली। राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार और चुनाव आयोग सहित मान्‍यता प्राप्‍त छह राष्‍ट्रीय पार्टियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एचएल दत्‍तू की अध्‍यक्षता वाली खंडपीठ ने एसो‍सिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भाजपा, कांग्रेस, बसपा, एनसीपी, सीपीएम और सीपीआई...

More »

परीक्षाओं में धांधली की बढ़ती चुनौती - प्रेमपाल शर्मा

शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब देश में चल रही परीक्षाओं को लेकर कोई घोटाला सामने न आए। पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के कई पेपर लीक हुए। ठीक इसी वक्त मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में हुई धांधली का मामला भी सुप्रीम कोर्ट के सामने है, जिसने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले के बारे में...

More »

सामाजिक, आर्थिक व जातीय जनगणना : समावेशी जुबान, मंशा अनजान!

आजादी के बाद भारत में गरीबी रेखा तय करने की दिशा में उठाये गये विभिन्न कदमों की सूची में पिछले कुछ वर्षो के दौरान संचालित सामाजिक, आर्थिक व जाति सर्वेक्षण का महत्वपूर्ण स्थान है. इसमें पहली बार किसी परिवार की सामाजिक पहचान को तरजीह दी गयी है. देश में लंबे अरसे से ऐसी मान्यता रही है कि गरीबी की मार कुछ सामाजिक श्रेणियों को ज्यादा ङोलनी पड़ती है, जिनमें से...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close