प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सबसे पवित्र नदी को साफ करने का वादा किया है। वाराणसी से चुनाव लडम्कर एक तरह से उन्होंने इस असंभव से लगने वाले मुद्दे पर अपने राजनीतिक भविष्य को दांव पर लगा दिया। गंगा की जो हालत है, वह भारत के अंतर्विरोधों का सबसे अच्छा उदाहरण है। एक तरफ तो देश की इस सबसे पावन नदी की लोग पूजा करते हैं, इसके जल को सबसे पवित्र...
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अबकी बार केवल सरकार- शंकर अय्यर
पिछले तीन महीने में भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। यह सरकार विहीन यथार्थ से विपक्ष विहीन यथार्थ की स्थिति में आ गई है। निष्क्रियता और अयोग्यता का एक चक्र पूरा हो चुका है। ऐसे में, जनादेश को इस तरह भी अभिव्यक्त किया जा सकता है-अबकि बार केवल सरकार, कोई विपक्ष नहीं! सांसद आपस में मजाक करते देखे जा रहे हैं कि एनडीए के सभी सदस्यों के बैठने...
More »और अनिष्ट की आशंका- रतनदीप चौधरी
आठ साल की साजिदा इतनी डरी हुई है कि हम उससे बात करें, उससे पहले ही वह दौड़कर एक टेंट में छिप जाती है. यह टेंट उस राहत शिविर का हिस्सा है जो असम के बक्सा जिले में बेकी नदी के किनारे एक जगह पर लगाया गया है. साजिदा यहां अपने अब्बा और एक बहन के साथ रह रही है. उसकी मां और एक छोटी बहन दो मई को इलाके...
More »डर तो यह है कि और न पिछड़ जाएं -फारूक तिरमिजी
नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं, तो पाकिस्तानियों के मन में बेचैनी है। लेकिन यह बेचैनी गलत कारणों को लेकर है। ज्यादातर पाकिस्तानी मोदी के हिंदू राष्ट्रवाद को लेकर सशंकित हैं, जबकि इसका सीधा कोई प्रभाव हम पर नहीं पड़ने जा रहा है। इस बीच हम उस तथ्य को अनदेखा कर रहे हैं, जिसे लेकर हमें वास्तव में चिंतित होना चाहिए। यह है...
More »परिवर्तन के लिए पूर्वाभ्यास- प्रभु जोशी
जनसत्ता 23 मई, 2014 : इन चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया कि नरेंद्र मोदी अपने दल से बड़े हैं। वे मालवा की इस कहावत के चरितार्थ हैं कि‘दस हाथ की कंकड़ी में बीस हाथ का बीज’। उनके ऐसा ‘वैराट्य’ ग्रहण करते ही उनका दल छिलके की तरह नीचे गिर गया है। वे स्वयंसिद्ध सत्ता की उस धार में बदल चुके हैं, जिसे अब दल की पुरानी आडवाणी-अटल छाप म्यान...
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