कसरावद (खरगोन) (निप्र)। कर्ज में दबे एक किसान ने सूखी नहर में कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया। इस दौरान अन्य युवकों ने देख लिया और उसे बचाया। गांव लाकर समझाइश दी परंतु किसान एक ही बात कह रहा था- यदि नहर में पानी नहीं छोड़ा तो 5 लाख का कर्ज कैसे चुकाऊंगा। घटना शनिवार को ग्राम बिठेर में हुई। किसान मुकेश पाटीदार (32) इंदिरा सागर परियोजना की नहरों में पानी नहीं...
More »SEARCH RESULT
किसानों के अनुभव : समाज को निबटना होगा सूखे से, सरकार के भरोसे नहीं
लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...
More »यहां कर्ज नहीं, अनाज मिलता है
गरीबों को जीवन चलाने के लिए कर्ज लेना ही पड़ता है. लेकिन जब ब्याज के साथ महाजन को कर्ज चुकाने की बारी आती है, तो बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाती है. किसानों के लिए खुदकुशी करने की नौबत तक आ जाती है. पटना के आस-पास की कुछ महिलाएं अनूठा प्रयोग करते हुए अनाज बैंक चला रही हैं. जो महाजन के जुल्म से मुक्ति की सफल दास्तां है. पटना: मोहनचक की...
More »'दस साल में और बहुत सारी विधवाएं देखेंगे'- सौतिक बिस्वास
महाराष्ट्र के वाशीम ज़िले के एक गांव में रहने वाले किसान मुकुंदा वाघ ने 2009 में पहली बार कीटनाशक पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. जब वो बेहोश होकर गिर गए और उनके मुंह से झाग निकलने लगा तो उनकी पत्नी ने उन्हें देखा और अस्पताल ले गईं. उस वक़्त अस्पताल में डॉक्टरों ने उनकी जान बचा ली. लेकिन तीन साल के बाद मई 2012 में क़िस्मत ने उनका साथ नहीं...
More »फसलों का नुकसान: मुआवजा पाने में कितने पेंच
क्या बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं और चने जैसे महत्वपूर्ण रबी-फसल के नुकसान की मार झेल छह राज्यों के किसानों को इतना मुआवजा मिल पाएगा कि उनके लागत की ही भरपायी हो सके ? प्रश्न के उत्तर के नीचे लिखे तथ्य पर गौर करें. एक क्विन्टल गेहूं को उपजाने और बाजार तक पहुंचाने में किसान को 1212 रुपये की लागत आती है, एक क्विन्टल चने के लिए यही खर्च...
More »