कृषि मोर्चे पर एक नया संकट आ गया है। सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार द्वारा किसानों को फसल उत्पादन की कुल लागत पर 50 प्रतिशत लाभ देने में असमर्थता जताने के बाद तलवारें खिंच गई हैं। मार्च के मध्य से ही कई किसान संगठन इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि उनके साथ विश्वासघात हुआ है। वाकई लोकसभा चुनाव के दौरान ही...
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प्रतिष्ठा का प्रश्न बना भूमि अधिग्रहण विधेयक - परंजॉय गुहा
मोदी सरकार का भू-अधिग्रहण अध्यादेश 5 अप्रैल को समाप्त हो रहा है और सरकार ने पुन: अध्यादेश लाने का निर्णय किया है। यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक जुआ है। चूंकि राजग के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए पूरी संभावना है कि जब यह अध्यादेश विधेयक की शक्ल में वहां जाएगा, तो निरस्त हो जाएगा। ऐसे में सरकार के पास संसद का संयुक्त सत्र बुलाने के सिवा कोई और...
More »किसानों को दिहाड़ी मजदूर न बनाएं - देविंदर शर्मा
22 मार्च को किसानों के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात" रेडियो पर प्रसारित होगी और देश में खेती-किसानी और कृषकों के हालात सुधारने के बारे में उनके विचारों से मैं अवगत होना चाहूंगा। मैं नहीं जानता कि मेरे विचार उनके किसी निर्णय को बदल अथवा प्रभावित कर सकते हैं या नहीं, लेकिन यहां मैं किसानों की दुर्दशा और परेशानी अवश्य साझा कर सकता हूं। इसके साथ...
More »भूमि-अधिग्रहण पर महाभारत- दिनेश त्रिवेदी
वर्ष 1989 में जब वीपी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार सत्ता में आई थी तो उससे काफी उम्मीदें थीं। सरकार से आम लोगों की बहुत सारी अपेक्षाएं जुडी थीं। सामान्य धारणा यही थी कि वह लंबे अरसे तक सत्ता में बनी रहेगी, लेकिन यह सपना एक वर्ष में ही बिखरने लगा। मंडल आयोग का मुद्दा राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के लिए वाटरलू साबित हुआ और अंतत: सरकार धराशायी हो...
More »ग्रामोद्योग की फिक्र किसे है- अरुण तिवारी
निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न शुल्क और मंजूरियों में छूट से लेकर तकनीकी उन्नयन और इ-बिज पोर्टल जैसी तमाम घोषणाएं बजट में है। मंजूरियों में छूट को लेकर एक विधेयक लाने की तैयारी का संकेत भी कर दिया गया है। कहना न होगा कि वित्तमंत्री ने उद्योगों की तो खूब चिंता की, परग्रामोद्योगों को अब भी प्रतीक्षा है कि कोई आए और अलग से उनकी चिंता...
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