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महान लोकतंत्र की सौतेली संतानें- अतुल चौरसिया

नर्मदा और टिहरी की जो वर्तमान त्रासदी है उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला उससे आधी सदी पूर्व ही गुजर चुका है. लेकिन इसका दुर्भाग्य कि नर्मदा, टिहरी के मुकाबले विनाश के कई गुना ज्यादा करीब होने के बावजूद यह आज कहीं मुद्दा ही नहीं है. शायद इसलिए कि सोनभद्र के पास कोई मेधा पाटकर या सुंदरलाल बहुगुणा नहीं हैं. अतुल चौरसिया की रिपोर्ट. फोटो: शैलेंद्र पांडेय. सोनभद्र को देखकर पहली नजर...

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भूमिहीन परिवार बनें जमीन के मालिक

इस योजना के तहत सरकार वैसे आदिवासी परिवारों को बसने और जीवन यापन के लिए वनभूमि पर अधिकार का पट्टा देती है, जिस भूमि पर कोई आदिवासी परिवार लंबे समय से बसा हुआ हो. इस तरह की जमीन अहस्तांतरणीय और गैर व्यावसायिक होती है. यानी पट्टे पर मिली वन भूमि पर आदिवासी परिवार घर बना कर खुद रह सकता है और उस जमीन पर खुद के खाने लायक फसल उपजा...

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गर्भाशय कांड: सात डॉक्टरों के एक साल तक इलाज करने पर रोक- मुहम्मद निजाम

रायपुर. कैंसर का भय दिखाकर कम उम्र की महिलाओं के गर्भाशय निकालने वाले निजी नर्सिंग होम के सात डॉक्टरों के खिलाफ राज्य शासन ने कड़ा फैसला लिया है। गर्भ के गुनहगार इन डॉक्टरों के पंजीयन एक साल के लिए निलंबित कर दिए गए हैं। अब ये सालभर तक मरीजों का इलाज नहीं कर सकेंगे। उन्हें अपना रजिस्ट्रेशन एक हफ्ते के भीतर शासन के पास जमा करना होगा। दैनिक भास्कर के खुलासे...

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कड़छम-वांगतू प्रोजेक्ट का बांध तोड़ने के आदेश, कंपनी पर लगा लाखों का जुर्माना

भावानगर। किन्नौर जिला में जेपी कंपनी की ओर से बनाए गए 1000 मेगावॉट के कड़छम-वांगतू प्रोजेक्ट के बांध के आधे निर्माण को स्थानीय अदालत ने अवैध घोषित कर दिया। जिस जमीन पर बांध का निर्माण हुआ है, उसकी लीज कंपनी के नाम नहीं है। एसडीएम कोर्ट भावानगर ने 19 मार्च को कंपनी को बांध तोड़ने के आदेश दिए हैं। बांध पर करीब १क्क् करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। एसडीएम...

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पत्रकारों के लिए इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13- आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ायी गई

  (आवेदन की अंतिम तिथि- 31 दिसंबर, सोमवार, 2012) विकासशील समाज अध्ययन पीठ( सीएसडीएस) की एक परियोजना इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की तरफ से इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2012-13 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फैलोशिप का उद्देश्य ग्रामीण-विकास पर ध्यान खींचना है, खासकर सशक्तीकरण, विकेंद्रीकरण, कन्वर्जेंस तथा पंचायतों और स्थानीय निकायों द्वारा मौजूदा स्कीमों के बेहतर इस्तेमाल के जरिए होने वाले ग्रामीण विकास पर। इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज ग्रामीण भारत से संबंधित सूचनाओं, विचारों...

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