हिमालय आकार में जितना विराट है, अपनी विशेषताओं के कारण उतना ही अद्भुत भी। कल्पना करें कि अगर हिमालय न होता तो दुनिया और खासकर एशिया का राजनीतिक भूगोल क्या होता? एशिया का ऋतुचक्र क्या होता? किस तरह की जनसांख्यकी होती और किस तरह के शासनतंत्रों में बंधे कितने देश होते? विश्वविजय के जुनून में दुनिया के आक्रांता भारत को किस कदर रौंदते? न गंगा होती, न सिंधु होती और...
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निजता के अधिकार पर प्रहार-- रीतिका खेड़ा
पिछले हफ्ते जब सुप्रीम कोर्ट में ‘राइट टू प्राइवसी' यानी निजता के अधिकार पर सुनवाई चल रही थी, तब सरकारी वकील केके वेणुगोपाल ने पीठ पर बैठे नौ जजों से कहा कि ‘जीवन का अधिकार', ‘निजता के अधिकार' से ऊपर है, और चूंकि आधार जीवन के अधिकार को ‘रीयलाइज' करने के लिए जरूरी है, इसलिए आधार प्रोजेक्ट को चलने देना चाहिए, बावजूद इसके कि शायद कहीं और कभी-कभी उससे निजता...
More »कौशल विकास योजना के सबक-- संजय रोकड़े
आदर्श ग्राम योजना, मेक इन इंडिया, मुद्रा योजना की तरह कौशल विकास योजना को लेकर भी बड़ी-बड़ी बातें की गर्इं। लेकिन जब सरकार ने इस योजना की सच्चाई जानने के लिए धरातल पर एक आंतरिक सर्वे करवाया तो बहुत चिंताजनक स्थिति सामने आई। कौशल विकास योजना को संचालित करने वाले मंत्रालय की आंतरिक आॅडिट रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट रूप से जिक्र है कि सरकार द्वारा अनुदान-प्राप्त करीब सात...
More »अकथ कहानी खेत की-- राकेश दीवान
जून महीने के बीस दिनों में हुर्इं चालीस से अधिक किसानों की आत्महत्याओं का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। किसान आंदोलन से निपटने के लिए सरकार को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य' पर केवल तुअर, मूंग और उड़द खरीदने और आठ रुपए किलो में प्याज खरीदने और फिर भंडारण की कमी के चलते सड़ाने की तजवीज भर नजर आई। आज भी किसानी ‘अन-स्किल्ड' यानी अकुशल श्रम भर मानी जाती है...
More »जनसंख्या नियंत्रण की चुनौती-- बालमुकुंद ओझा
आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से ज्यादा है। अकेले भारत की जनसंख्या सवा अरब से अधिक है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। आजादी के समय भारत की जनसंख्या तैंतीस करोड़ थी, जो आज चार गुना तक बढ़ गई है। परिवार नियोजन के कमजोर तरीकों, अशिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव, अंधविश्वास और विकासात्मक असंतुलन के चलते आबादी तेजी से बढ़ी है। संभावना है...
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