खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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ईरान में भारतीय बासमती के खिलाफ दुष्प्रचार
नई दिल्ली- देश के 13,000 करोड़ रुपए के बासमती निर्यात उद्योग की राह से रोड़े हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। बासमती निर्यातकों ने हाल में ही निर्यात नियमों ढील के लिए सरकार से लड़ाई जीती है। इसके तहत न्यूनतम निर्यात कीमत (एमईपी) को 1,100 डॉलर प्रति टन से घटाकर 900 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है, लेकिन 1 अक्टूबर को नए सीजन की शुरुआत से पहले ही...
More »पलायन (माइग्रेशन)
खास बात • किसी प्रांत से उसी प्रांत में और किसी एक प्रांत से दूसरे प्रांत में पलायन करने वालों की संख्या पिछले एक दशक में ९ करोड़ ८० लाख तक जा पहुंची है। इसमें ६ करोड़ १० लाख लोगों ने ग्रामीण से ग्रामीण इलाकों में और ३ करोड़ ६० लाख लोगों ने गावों से शहरों की ओर पलायन किया। # • पिछले एक दशक को आधार मानकर अगर इस बात की गणना करें कि किसी वासस्थान को छोड़कर कितने लोग दूसरी जगह रहने...
More »खनन और विस्थापन-दर्द की वही दास्तान हर जगह
भारत सरकार खनन-क्षेत्र की दक्षिण कोरियाई कंपनी पोस्को के उड़ीसा स्थित ५१ हजार करोड़ के इस्पात संयत्र के लिए कोई वैकल्पिक जगह आबंटित करने की जुगत में है क्योंकि सरकार को डर है कि अगर आदिवासियों को उनकी जमीन और जीविका छोड़ने के लिए जबर्दस्ती मजबूर किया गया तो परिणाम गंभीर होंगे।सरकार की योजना है कि कंपनी को उड़ीसा में ही कहीं और जमीन दे दी जाय ताकि उसे प्रान्त...
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