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बापू के पास है घायल लोकतंत्र की औषधि

जनचौक,02 अगस्त  बड़ी संख्या में लोग मानने लगे हैं कि भारतीय लोकतंत्र एक संकट के दौर से गुज़र रहा है। लोकतान्त्रिक संस्थाओं की कार्य शैलियाँ बदल रही हैं, कार्यकारिणी और न्यायपालिका के काम-काज में अनावश्यक हस्तक्षेप हो रहा है और शैक्षणिक संस्थाओं में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दखलंदाजी बढ़ती जा रही है। पाठ्यपुस्तकें बदली जा रही हैं और इतिहास को तोड़-मरोड़ कर बच्चों के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है।...

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भारत की खाद्य चिंताएं बढ़ीं, अनियमित मॉनसूनी बारिशों से धान की रोपाई 13% पिछड़ी

दिप्रिन्ट, 30 जुलाई कृषि मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अनियमित मॉनसूनी बारिशों ने खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई को बुरी तरह प्रभावित किया है. धान रोपाई का क्षेत्र, जिसे पूरे देश में उगाया और खाया जाता है, पिछले साल के मुक़ाबले 13 प्रतिशत कम हो गया है. भारत दुनिया में चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और शीर्ष निर्यातक है, जिसकी चावल...

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बहुविवाह मुसलिमों में ही नहीं, हिंदुओं में भी; आदिवासियों में तो आम बात!

सत्य हिन्दी, 28 जुलाई  सोशल मीडिया पर अक्सर एक से ज़्यादा पत्नी रखने के लिए मुसलिमों को निशाना बनाया जाता रहा है, लेकिन क्या सिर्फ़ मुसलिम ही बहुविवाह करते हैं? उन समुदायों के बारे में क्या जिसमें ऐसी शादियाँ आम बात है? आप यह जानकर चौंक जाएँगे कि मुसलिमों से कहीं ज़्यादा बहुविवाह आदिवासी बहुल राज्यों में होता है। ऐसा तब है जब बहुविवाह या एक से अधिक पत्नी रखने की प्रथा...

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छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हुए दो संकल्प, क्या हैं इसके मायने

डाउन टूअर्थ, 27 जुलाई  बीते रोज यानी 26 जुलाई 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही कई मायनों में उल्लेखनीय रही। इस दिन जिस सक्रियता से राज्य के जंगलों, आदिवासी समुदायों, प्रकृति और उनके संरक्षण पर पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों ने बहस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उसकी सराहना की जानी चाहिए। केवल हसदेव अरण्य से जुड़े हुए करीब 20 प्रश्नों पर चर्चा हुई। इसी दिन विधानसभा ने दो महत्वपूर्ण संकल्प भी...

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बाढ़ को असम से इतनी मोहब्बत क्यों ?

हर बरस की बात है यहां. बारिश का सीजन आता है. बाढ़ की खबरें आती हैं. मौत के आंकड़े आते हैं और, अंत में ‘राहत की घोषणा’ होती है! घोषणा आते ही सरकार की वाहवाही शुरू हो जाती हैं. इस वाहवाही की गूंज के पीछे छिप जाती है आम लोगों की ‘चीत्कार’...ऐसी ही कहानी है ‘असम’ की. उत्तर–पूर्वी भारत का एक राज्य जो मई और जून के महीनों में बाढ़ से जूझता...

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