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क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई

लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...

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खादी उद्योग की 300 ईकाइयों की उत्पादन क्षमता बढ़ाएगी सरकार

केंद्र सरकार और एशिया विकास बैंक के बीच 15 करोड़ डॉलर के एक समझौते के अनुसार ग्रामीण स्तर पर स्व रोजगार को बढावा देने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग खादी क्षेत्र में सुधार का कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसमें खादी उद्योग की 300 ईकाइयों की उत्पादन क्षमता बढाई जाएगीं। खादी को प्रोत्सहान देने और बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में 25 फीसदी और...

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सरकारी स्कूल की हालत ट्रांसपोर्ट की गाड़ी जैसी

पटना : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शिक्षा की सरकारी व्यवस्था के बारे में रविवार को साफ-साफ और बेबाक अंदाज में बात की. मुख्यमंत्री ने कहा, सरकारी स्कूलों का हाल ठीक सरकार के ट्रांसपोर्ट की उस गाड़ी की तरह हो गयी है, जिसके एक साल चलते-चलते टायर व पार्ट्स तक बिक जाते हैं. वहीं, प्राइवेट स्कूलों का विकास प्राइवेट बस की तरह हो रहा है. एक साल में एक बस...

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मप्र के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, बालश्रम-बंधुआ मजदूरी के भी शिकायतें मिली हैं : आयोग (?

भोपाल। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने मप्र के स्कूलों की स्थिति पर नाराजगी जताई है। साथ ही उन्होंने मप्र में आयोग के अध्यक्ष पद के खाली होने पर भी सवाल खड़े किए। वे शुक्रवार को प्रशासन अकादमी में प्रेस को संबोधित कर रहे थे। बालाकृष्ण ने मप्र मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के खाली होने पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने...

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कम नहीं हो पा रहा कुपोषण- संदीप कुमार

सरकार का दावा है कि लोगों में कुपोषण घटा है. नेशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) की 66वीं अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि दो तिहाई लोग पोषण के सामान्य मानक से कम खुराक ले पा रहे हैं. योजना आयोग का मानना है कि हर ग्रामीण को न्यूनतम 2400 किलो कैलोरी व हर शहरी को न्यूनतम 2100 किलो कैलोरी का आहार मिलना चाहिए. जमीनी हकीकत क्या है, यह भी सरकारी...

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