सरकार का दावा है कि अर्थव्यवस्था 7.6 प्रतिशत की सम्मानजनक गति से आगे बढ़ रही है. हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर विकास नहीं दिख रहा है. महाराष्ट्र के सीमेंट विक्रेता ने बताया कि बिक्री 30 प्रतिशत कम है. दिल्ली के टैक्सी चालक ने कहा कि बुकिंग कम हो रही है. इसके विपरीत बड़ी कंपनियां ठीक-ठाक हैं. बहरहाल, आम आदमी का धंधा कमजोर है. संभवतया इसका प्रमुख कारण मोदी...
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न्यायपालिका को तो बख्श दें: एन के सिंह
फ्रांस के समाजशास्त्री अलेक्सी डे टॉक्विले और ब्रिटेन के राजनीतिक दार्शनिक जॉन स्टुअर्ट मिल, दोनों ने 25 साल के अंतराल में लोकतंत्र के दो नए खतरों के प्रति आगाह किया था। पहले का मानना था कि इसमें बहुमत के आतंक के शिकार व्यक्ति के पास बचने का कोई चारा नहीं होता। दूसरे ने इस भय की ओर इंगित किया था कि प्रजातंत्र मात्र एक शासन पद्धति न होकर असंगठित भीड़ की...
More »आयकर देने में इतना परहेज!-- आकार पटेल
कुछ साल पहले एक बुजुर्ग मुझे गाना सिखाने के लिए हर सुबह मेरे घर आया करते थे. वे भले व्यक्ति थे और यह काम दशकों से करते आ रहे थे. चूंकि हमारी मुलाकात नियमित रूप से हुआ करती थी, हम गाने की शिक्षा से पहले और बाद में उनसे कई सारे विषयों पर बात भी करते थे. उनमें जितनी गहरी लगन अपने संगीत को लेकर थी, उतनी ही गंभीरता से...
More »बायो तकनीकी खेती : स्वास्थ्य चिंताओं के बीच फील्ड ट्रायल की मंजूरी
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संभावित असर को लेकर जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) खेती के समर्थन और विरोध में जारी बहस के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने फील्ड ट्रायल के लिए आये प्रस्तावों में से करीब 80 फीसदी को हाल में हरी झंडी दे दी है. मई, 2014 में केंद्र में एनडीए सरकार के गठन के बाद से इस संदर्भ में हुई आठ बैठकों के बाद पिछले दिनों यह मंजूरी दी गयी. ...
More »सिर उठाते दिख रहे हैं दो संकट - राजीव सचान
सहज मार्ग से नाम से प्रचलित आध्यात्मिक संस्था श्रीरामचंद्र मिशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष रामचंद्र ने 1966 में प्रकाशित अपनी पुस्तक रियल्टी एट डॉन में भारत के उत्थान और पश्चिम के पराभव का एक खाका खींचा है। उन्होंने लिखा है कि इस पराभव का एक कारण पश्चिम में धरती के गर्भ में सक्रिय होने वाले ऐसे ज्वालामुखी भी बनेंगे जो अभी सुप्त अवस्था में हैं। पता नहीं, वह सब कुछ...
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