हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
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शीतलहर का कहर: सौ साल का रिकॉर्ड तोड़ेगी ठंड!
नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पूरा उत्तर-पश्चिम भारत इस वक्त भीषण ठंड की चपेट में है। कश्मीर व हिमाचल के कई इलाकों में हो रही भीषण बर्फबारी और शीतलहर लोगों पर कहर बनकर टूट रही है। उत्तर प्रदेश में ठंड के चलते 5 और लोगों की जान चली गई है। सर्द हवाओं ने राजधानी दिल्ली को इस कदर अपनी चपेट में लिया है कि सामान्य जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोगों का घर...
More »असरदार फनकारों के चमत्कार- शांतनु गुहा रे
अपनी तिकड़मों और पहुंच के ज़रिए हर सरकारी ताले को खोलने की क्षमता और हर लाल फीते की काट रखने वाले असरदार लोगों की सर्वव्यापी मगर अदृश्य दुनिया...शांतनु गुहा रे की रिपोर्ट . पिछले महीने का एक शांत मंगलवार. मध्य दिल्ली के एक पांच सितारा होटल की सबसे ऊपरी मंज़िल. रेस्टोरेंट की दर्जनों मेजों में से सिर्फ चार पर ही लोग नज़र आ रहे हैं. एक मेज पर एक पूर्व वरिष्ठ...
More »विस्थापन
खास बातें- दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...
More »किसान-सरकार साझेदारी का मॉडल
भू-अर्जन कानून 1894 में मामूली सा संशोधन कर ग्रामसभा की भूमि का उपयोग बदले जाने के बावजूद भारत के गांवों के किसानों एवं भूमिहीनों के वंशजों का भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है। इस संशोधन का नाम सक्रिय समूहों ने किसान-सरकार साझेदारी तय किया है। अगस्त में उत्तर प्रदेश के जिरकपुर हुए किसान आंदोलन के बाद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने एक स्वर में भू-अर्जन कानून 1894 में संशोधन की मांग की थी। मामला...
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