जिस भारतीय अर्थव्यवस्था के बूते दक्षिण एशिया में साल 2010 तक आर्थिक-वृद्धि की रफ्तार 9 फीसदी से ज्यादा की रही और अब यानी साल 2011-12 में 7 फीसदी पर जा पहुंची है, उसके बारे में सबसे ज्यादा गौर करने लायक तथ्य क्या है ? अंतर्राष्ट्रीय श्रम-संगठन की नई रिपोर्ट ग्लोबल एम्पलॉयमेंट ट्रेन्डस् का कहना है कि बढ़ोत्तरी का यह कमाल श्रम की उत्पादकता में बढ़वार का नतीजा था ना कि...
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बढ़ती बेरोजगारी के बीच-गिरीश मिश्र
नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
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नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...
More »ग्रामीण महिलाओं ने जाना मनरेगा का महत्व
केन्द्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार क्षेत्रीय निदेशालय जमशेदपुर की ओर से हलुदबनी में चल रहा दो दिवसीय मनरेगा शिविर संपन्न हुआ। इस अवसर पर क्षेत्र की महिलाओं को मनरेगा के महत्व के बारे में बताया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे जिला परिषद सदस्य राजकुमार सिंह ने कहा कि मनरेगा एक लोक कल्याणकारी योजना है। इस योजना के आने से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले...
More »बिहारी कारीगरों ने बनायी कंपनी
पटना : मुंबई की गंदी बस्ती धारावी में पांच सौ वर्गफुट के छोटे कमरे में बैग बनानेवाले सर्फुद्दीन अब बिहार लौटने की तैयारी कर रहे हैं. बिहार के बदले हालात से अपनी सरजमीं पर लौटने की चाहत वहां के 600 अन्य उद्यमियों और लगभग चार हजार कारीगरों को भी है. ज्यादातर कारीगर लघु, मध्यम व सूक्ष्म उद्यमों में काम करते हैं. सर्फुद्दीन के अलावा दरभंगा के अहसान अहसन व इफ्तखार अहमद भी...
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