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न्यूज क्लिपिंग्स् | बिहारी कारीगरों ने बनायी कंपनी

बिहारी कारीगरों ने बनायी कंपनी

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published Published on Jan 4, 2012   modified Modified on Jan 4, 2012

पटना : मुंबई की गंदी बस्ती धारावी में पांच सौ वर्गफुट के छोटे कमरे में बैग बनानेवाले सर्फुद्दीन अब बिहार लौटने की तैयारी कर रहे हैं. बिहार के बदले हालात से अपनी सरजमीं पर लौटने की चाहत वहां के 600 अन्य उद्यमियों और लगभग चार हजार कारीगरों को भी है.

ज्यादातर कारीगर लघु, मध्यम व सूक्ष्म उद्यमों में काम करते हैं. सर्फुद्दीन के अलावा दरभंगा के अहसान अहसन व इफ्तखार अहमद भी मुंबई में चमड़े का बैग बनाते हैं. वे इसलिए भी वापस बिहार आना चाहते हैं कि मुंबई में बाहरी होने का अपमान न झेलना पड़े.

100 करोड़ का होगा निवेश

2010 में मुंबई में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से बिहारी कामगारों के एक समूह ने वापस लौटने के मसले पर चर्चा की थी. धीरे-धीरे 125 लोग जुड़े और एसोसिएशन ऑफ़ प्रोगेसिव एंड रिसर्जेट नेशनलिस्ट अवाम (अपर्णा) का गठन हुआ. इसके डायरेक्टर अहसान अहसन व इफ्तखार अहमद हैं.

कंपनी से 600 से अधिक उद्यमी व कारीगर जुड़ गये हैं. उन्हें पोलेरिश कंपनी के सीएमडी टीबी सिन्हा सहयोग कर रहे हैं. कंपनी को बियाडा ने फ़तुहा इंडस्ट्रीयल एरिया में 2.5 एकड़ भूमि आवंटित की है.

यहां इंडस्ट्रीयल कॉम्प्लेक्स बनेगा. डिजाइन मशहूर ओर्कटेक्ट हाफ़िज कांट्रेक्टर ने नि:शुल्क तैयार किया है. सिडबी ने उद्यमियों को बिना जमानत के ऋण देने का करार अपर्णा के साथ किया है. इंडस्ट्रीयल कॉम्पलेक्स में सभी उद्यमियों को आवश्यकतानुसार 500 से 3000 वर्गफ़ीट जगह उपलब्ध करायी जायेगी.

ये होंगी सुविधाएं : स्वास्थ्य केंद्र, बैंकिंग सुविधा, एटीएम, कॉन्फ्रेंस रूम, प्राथमिक स्कूल, प्रशिक्षण केंद्र, मल्टीशेड प्रेयर हाल, सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से लाइटिंग सुविधा, बायो डिजेबुल वेस्ट से बनेगा खाद

उत्पादन होगा : लेदर का बैग, जैकेट, बेल्ट, कपड़ा बैग सहित अन्य छोटे-छोटे सामान

मिलेगा लाभ : प्रवासी बिहारियों की घर वापसी सुनिश्चित, तत्काल 100 करोड़ निवेश का रास्ता साफ़, 12 हजार प्रत्यक्ष व 20 हजार अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन, सरकार को राजस्व की प्राप्ति, फ़तुहा बनेगा ‘बैग हाउस’, राघोपुर दियारा के एक गांव को अपर्णा गोद लेगी.
- कौशलेंद्र मिश्र -


http://www.prabhatkhabar.com/node/107623


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