पिछले कुछ सालों से भारत के कई राज्यों ने स्कूलों या आंगनबाड़ी केंद्रों या फिर दोनों जगहों पर मिड डे मील में अंडा परोसना शुरू किया है. यह क़दम सामाजिक नीति के क्षेत्र में हुए बेहतरीन चीज़ों में एक है. भारतीय बच्चे दुनिया के सर्वाधिक कुपोषित बच्चों में शुमार हैं. उन्हें प्रोटीन, विटामिन, आयरन तथा अन्य ज़रूरी पोषक-तत्वों से भरपूर भोजन नहीं मिल पाता. रोज़ाना अंडा खाने से उन्हें पलने-बढ़ने और सोचने-समझने...
More »SEARCH RESULT
त्रिपुराः एक दिन के बच्चे को 4500 में बेचा- सुबीर भौमिक(बीबीसी)
भारत के त्रिपुरा में एक आदिवासी दंपति के क़थित तौर पर ग़रीबी के कारण अपने नवजात बच्चे को बेचने का मामला सामने आया है. त्रिपुरा के कोवाई सब-डिविज़न के मुंडा बस्ती गाँव के रहने वाले रंजीत तांती ने अपने चौथे बच्चे को उसके जन्म के एक दिन बाद ही मात्र 4500 रुपए में बेच दिया. रंजीत कहते हैं, "जब मेरी बीवी तीन महीने के गर्भ से थी तो हमने डॉक्टर से गर्भपात...
More »साड़ी-गहने बाद में, पहले बताओ कहां है शौचालय
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का असर समाज में काफी गहराई तक घर कर गया है। यह इसी से समझा जा सकता है कि महाराष्ट्र में एक लड़की ने शादी तय होने के बाद साड़ी-गहने को छोड़ कर पहले ससुराल में शौचालय होने की जरूरत पर बल दिया। उसे पता चला था कि उसके ससुराल के लोग खुले में शौच करने जाते हैं। इस पर उसने अपने परिजनों...
More »विज्ञान से ही सुलझेगी कृषि समस्या --शंथु शांताराम
जिस तरह भुखमरी के कगार पर पहुंच गए देश को 1960 के दशक की हरित क्रांति ने अन्न से संपन्न देश में बदल दिया था, उसी तरह आधुनिक जेनेटिक्स और जेनेटिक इंजीनियरिंग देश की कृषि समस्याओं के खात्मे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अल नीनो समेत भारत पर पर्यावरण के बदलाव का असर पहले ही दिखने लग गया है, ऐसे में विज्ञान की मदद लेने के अलावा देश के...
More »सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश
अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...
More »