भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...
More »SEARCH RESULT
सवा दो करोड़ खर्च करने के बाद भी नहीं मिले राशनकार्ड
जयपुर. खाद्य विभाग ने स्टेशनरी और नए राशनकार्डो की छपाई पर 2.26 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इसके बाद भी विभाग यह फैसला ही नहीं कर पाया कि नए राशनकार्डो का वितरण कब और कैसे होगा? जबकि पुराने राशनकार्डो की वैधता अवधि तीन माह पहले ही खत्म हो चुकी है। विधानसभा की जनलेखा...
More »नर्मदा पर रार- शिरीष खरे(तहलका हिन्दी)
नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान अपने-अपने राज्यों के सूखे इलाकों में नर्मदा का पानी पहुंचाना चाहते हैं. क्या उनकी यह महत्वाकांक्षी कावेरी जल विवाद जैसी अंतहीन समस्या खड़ी करने वाली है? शिरीष खरे की रिपोर्ट. भले ही गुजरात और मध्य प्रदेश में एक ही पार्टी भारतीय जनता पार्टी की सरकार हो लेकिन नर्मदा को लेकर दोनों राज्य द्वंद्व और टकराव के मुहाने पर खड़े हैं. पानी के बंटवारे को लेकर गुजरात...
More »गेहूं का उत्पादन घटाइए- भरत झुनझुनवाला
गत वर्ष गेहूं का रिकार्ड उत्पादन हुआ था. पूर्व के स्टॉक भी पर्याप्त मात्र में उपलब्ध थे. इस परिस्थिति में सरकार ने 2011 में गेहूं के निर्यात की स्वीकृति दे दी थी. कुछ निर्यात हुए भी हैं. गेहूं का उत्पादन हमारी जरूरतों से ज्यादा है. इस असंतुलन को ठीक करने के दो उपाय हैं. एक यह कि गेहूं की खपत अथवा निर्यात बढ़ाया जाये. दूसरा यह कि गेहूं का उत्पादन घटाया...
More »किसान को मिले सब्सिडी-।। डॉ भरत झुनझुनवाला ।।
सब्सिडी के बढ़ते बोझ के कारण सरकार की वित्तीय स्थिति गड़बड़ा रही है. सरकार ने सब्सिडियों में कटौती करने का मन बनाया है. किसान और गरीब को सब्सिडी जरूरी है. सब्सिडी घटाने के स्थान पर इसके वितरण के नये रचनात्मक उपाय सोचने चाहिए, जिससे खर्च भी बचे और किसान भी लाभान्वित हों. सरकार रासायनिक फर्टिलाइजर, यूरिया कंपनियों को भारी सब्सिडी दे रही है. वित्त मंत्रालय के एक दस्तावेज के अनुसार केवल 46...
More »