तीन दशक से भी पहले मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला संबंधी परीक्षा आयोजित करने के लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की स्थापना की गई थी। वह विचार बुरा नहीं था। आम तौर पर इस तरह के चयन से पारदर्शिता और निष्पक्षता को ही बढ़ावा मिलता है। हालांकि इसका एहसास नहीं था कि सरकारी क्षेत्र के एक संगठन में रोजगार देने की इतनी शक्ति...
More »SEARCH RESULT
गांवों को गोद लेना असली दायित्व- डा अनिल जोशी
यूरोप की अर्थव्यवस्था दूसरे विश्वयुद्व के बाद पूरी तरह लड़खड़ा गई थी और उस समय उद्योग को मूलमंत्र मानकर विकास की रूपरेखा तैयार की गई। इसी समय विकास की दिशा में दो बड़े परिवर्तन हुए। पहला विकास की परिभाषा गढ़ी गई, जिसका मतलब सीधा-सा यह था कि उद्योग और उससे जुड़े तमाम आगे-पीछे के आयामों को ही विकास मान लिया जाए। दूसरा इसी के बाद भोगवादी सभ्यता का तेजी से...
More »छत्तीसगढ़ में मधुमक्खी पालन से फसल पैदावार में हुई वृद्धि
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। प्रदेश के जिन इलाकों में मधुमक्खी की बहुतायत है, और जहां ये परागण करती हैं, वहां के किसान संपन्नता में अन्य क्षेत्रों के कृषकों से बहुत आगे हैं। क्षेत्र विशेष के लिए मधुमक्खी खुशहाली और संपन्नता का पर्याय बन गई है। मधुमक्खी की परागण और शुद्धता पर जारी शोध के प्रारंभिक नतीजे बताते हैं कि जिस क्षेत्र विशेष में मधुमक्खियों का बसेरा है, वहां फसल का उत्पादन अन्य...
More »गरीबी उन्मूलन पर विश्व बैंक का ढोंग
विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यांग किम ने कहा है कि वर्ष 2030 तक विश्व से अतिगरीबी समाप्त हो जायेगी. ध्यान दें, शब्द ‘अतिगरीबी' है न कि गरीबी. गरीबी बढ़े और अतिगरीबी घटे ये साथ-साथ चल सकते हैं. जैसे एक भूखे बच्चे को एक रोटी दे दी जाये और गांव के सौ बच्चों को मिली दो रोटी में से एक छीन ली जाये, तो भूखे बच्चे की अतिगरीबी समाप्त हो...
More »दुनिया में भूख से रोज मरते हैं 20 हजार बच्चे
आज पूरा विश्व भूख, पानी और रोजगार जैसी विशेष जरूरतों के लिए परेशान है। जहां कुछ देश दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके हैं तो कुछ भूखमरी और पानी के लिए तरस रहे हैं। फिर भी विश्व में 1.3 बिलियन टन भोजन की किसी न किसी कारण बर्बादी होती है। यह मात्रा मानव उपयोग के लिए तैयार किए गए कुल भोजन की लगभग एक तिहाई है। बता दें कि...
More »