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एक साल में कितना बदला देश- मनीषा प्रियम

एक साल पहले दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की एक ऐसी घटना हुई थी, जिसने देश-दुनिया को झकझोर दिया था। तब से अब तक यह देश कई राजनीतिक-सामाजिक बदलावों का गवाह रहा है। ‘बिटिया’ के बलिदान ने ऐसा मंच तैयार किया, जहां देश की राजनीति और उसके निजी एवं बाह्य अंतर्विरोधों पर खुलकर बहस हुई है। वह एक अमानवीय और हृदय विदारक घटना थी। लेकिन उस घटना ने देश में परिवर्तन...

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गन्ने की कीमत से आगे- अपूर्वानंद

जनसत्ता 10 दिसंबर, 2013 : उत्तर प्रदेश से अब गन्ना उगाने वाले किसानों के मिल मालिकों से संघर्ष की खबरें आ रही हैं। यह संघर्ष जोरदार है। और एक तरह से इसे सफल जन संघर्ष कहा जा सकता है। इसने मुजफ्फरनगर की तीन महीने से चली आ रही हिंसा की खबरों को पीछे धकेल दिया है। कम से कम हिंदी अखबारों में। इस आंदोलन में भारतीय राष्ट्रीय  लोक दल के लोग...

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एमपी के 21 में से सिर्फ 2 सेज चालू हो पाए- शमशेर सिंह

विशेष आर्थिक क्षेत्र यानि सेज के प्रति डेवलपर कंपनियों और निर्यातकों की दिलचस्पी घटने के बाद पिछले मार्च में केंद्र सरकार ने इनके आकार में छूट देने की पहल की। इसके अलावा जमीन के उपयोग में ज्यादा आजादी और ऐसे प्रोजेक्ट से बाहर निकलने के लिए आसान प्रक्रिया बनाई गई थी। लेकिन सरकार ने कोई टैक्स छूट देने से साफ इंकार...

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असमानता तोड़ देगी देश को- डा. भरत झुनझुनवाला

बढ़ती असमानता समाज के लिए हानिकारक होने के साथ-साथ आर्थिक विकास के लिए भी हानिप्रद है. आम नागरिक जब अमीर को कोसता है, तो उसकी आंतरिक ऊर्जा नकारात्मक हो जाती है. वह हिंसक प्रवृत्ति का हो जाता है. चुनाव के इस माहौल में सभी पार्टियां गरीबों को लुभाने में लगी हुई हैं. कांग्रेस का कहना है कि उसने मनरेगा और खाद्य सुरक्षा लागू करके गरीबों को राहत पहुंचायी है. भाजपा...

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भारत डब्ल्यूटीओ में खाद्य सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं करेगा, बातचीत विफल होने की आशंका

बाली (इंडोनेशिया)। विश्व व्यापार संगठन की दो दिवसीय मंत्रीस्तरीय बैठक से पहले भारत ने अपना रूख कड़ा करते हुए कहा कि वह खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगा। इससे व्यापार से जुड़े मुद्दों पर दोहा दौर की वार्ता के विफल होने की आशंका बढ़ गयी है। भारत ने डब्ल्यूटीओ के 33 सदस्यीय समूह के समूचे पैकेज पर विकसित देशों के रूख पर भी चिंता व्यक्त करते हुए...

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