अपनी तिकड़मों और पहुंच के ज़रिए हर सरकारी ताले को खोलने की क्षमता और हर लाल फीते की काट रखने वाले असरदार लोगों की सर्वव्यापी मगर अदृश्य दुनिया...शांतनु गुहा रे की रिपोर्ट . पिछले महीने का एक शांत मंगलवार. मध्य दिल्ली के एक पांच सितारा होटल की सबसे ऊपरी मंज़िल. रेस्टोरेंट की दर्जनों मेजों में से सिर्फ चार पर ही लोग नज़र आ रहे हैं. एक मेज पर एक पूर्व वरिष्ठ...
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वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी
विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »मांग के कंधे पर बैठी महंगाई
नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। कदम रुके थे, पैर में बंधा पत्थर तो जस का तस था। महंगाई गई कहां थी? अर्थव्यवस्था मंदी से निढाल होकर बैठ गई थी इसलिए महंगाई का बोझ बिसर गया था। कदम फिर बढ़े हैं तो महंगाई टांग खींचने लगी है। मुद्रास्फीति का प्रेत नई ताकत जुटा कर लौट आया है। मंदी के छोटे से ब्रेक के बीच महंगाई और जिद्दी, जटिल व व्यापक हो...
More »पेड़ों पर चल रही आरी, रो रहा पंजाब
जालंधर। पंजाब में विकास और औद्योगिकीकरण के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और वृक्षारोपण की धीमी गति से वन क्षेत्र दिनों दिन घटता जा रहा है। राज्य के कुल भूभाग का 33 फीसदी क्षेत्र वनाच्छादित होना चाहिए लेकिन रकबा तकरीबन छह फीसदी ही है। हालांकि, राज्य सरकार ने वन क्षेत्र 33 फीसदी करने का दावा किया था लेकिन बाद में लक्ष्य को घटा कर 17 फीसदी कर दिया। अमृतसर जिले में महज 3 फीसदी...
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