आज के भारत भाग्य विधाता मानें या नहीं, अन्न उत्पादन के मामले में भारत का आत्मनिर्भर बन जाना, बीसवीं सदी की सबसे बड़ी घटनाओं और हमारी राष्ट्रीय उपलब्धियों में से है. लेकिन, कम लोगों को याद होगा कि हरित क्रांति के जनक नॉर्मन बोरलॉग ने नोबेल पुरस्कार ग्रहण करते वक्त भाषण में दो बातें कही थीं. पहला, हरित क्रांति अमरता की बूंदें पी कर नहीं आयी. इसका भी किसी दिन...
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अब फसलों की सेहत की निगरानी करेंगे ड्रोन, जीपीएस से चलने वाले ट्रैक्टर जोतेंगे खेत
यी दिल्ली : आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जमाने में फसलों की सेहत की निगरानी स्मार्ट ड्रोन के जरिये और खेतों की जुताई जीपीएस नियंत्रित स्वचालित ट्रैक्टरों से हो सकती है. साथ ही खेतों में कब और कितना कीटनाशक, उर्वरक का उपयोग करना है तथा मृदा को बेहतर बनाने के तरीके जैसी चीजों की जानकारी सही समय पर किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सकती हैं. यह सब कृत्रिम मेधा (Artificial Intelligence)...
More »रेपो रेट बढ़ाये जाने के मायने-- डा. अश्विनी महाजन
अधिकतर अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों की अपेक्षाओं को गलत साबित करते हुए मौद्रिक नीति कमेटी ने 6 जून, 2018 को लगभग साढ़े चार साल के बाद ‘रेपो रेट' में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए उसे 6.25 प्रतिशत कर दिया. गौरतलब है कि दो साल पहले तक रेपो रेट के बारे में निर्णय रिजर्व बैंक गवर्नर ही किया करते थे. अभी यह निर्णय रिजर्व बैंक गवर्नर की अध्यक्षता में छह सदस्यों...
More »मजदूर दिवस पर बोले ज्यां द्रेज़- NREGA को जिंदा रखने के लिए मजदूरी दर बढ़ाना जरूरी
मजदूर दिवस यानी मे डे के मौके पर सरकार कई दावे कर रही है. सरकारी आंकड़ों में कहा जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था उच्च दर से बढ़ रही है. लेकिन, जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ इससे इत्तेफाक नहीं रखते. उनका मानना है कि वास्तव में विकास की दर नहीं, बल्कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार यह तय करती है कि देश कितनी तरक्की कर रहा है. ज्यां द्रेज़ सोनिया...
More »नहीं थम रहा सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से ग्रामीणों की मौत का सिलसिला
शुभम भटनागर, देवभोग। गरियाबंद जिले की यह सीट कई तरह की समस्याओं से ग्रस्त है। इस बार सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से हो रही मौत का सिलसिला, नेशनल हाइवे का अधूरा निर्माण व बिजली चुनावी समर में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। हालांकि जिला प्रशासन की टीम सुपेबेड़ा में इलाज के लिए डटी हुई है। स्कूलों में शिक्षकों की कमी बरकरार है। गांवों में खेतों को पानी नहीं मिल रहा...
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