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लोगों की निराशा का कारण-- एम के वेणु

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के हाल में आये कंज्यूमर कांफिडेंस सर्वे से यह बात सामने आयी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर लोगों में एक प्रकार का नैराश्य भाव है.   इसी साल कुछ महीने पहले भी आरबीआइ ने एक ऐसा ही सर्वे किया था, जिसमें उसने पाया था कि बेरोजगारी और अपनी आय को लेकर आम आदमी में निराशा की भावना साल 2013-14 में खराब अर्थव्यवस्था के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रबल...

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अर्थव्यवस्था की सेहत का सवाल - संजय गुप्त

पूरे देश में टैक्स की एक प्रणाली के रूप में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी को लागू करते समय यह आशंका व्यक्त की गई थी कि इसके चलते अर्थव्यवस्था में कुछ समय के लिए ठहराव की स्थिति देखने को मिल सकती है। वर्तमान में ऐसा ही दिख रहा है। पिछली तिमाही में विकास दर जिस तरह 5.7 प्रतिशत ही दर्ज की गई, उससे तमाम राजनेता और कुछ अर्थशास्त्री यह...

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प्रोत्साहन पैकेज के फायदे -- संदीप बामजई

कृषि, आवास निर्माण क्षेत्र, रेलवे, सड़क, आदि में इस पैकेज के इस्तेमाल से जीडीपी की दर अच्छी हो जायेगी. अगर सरकार अभी पैकेज का ऐलान करती है, तो उम्मीद है कि अगले साल की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च 2018) में हमारी जीडीपी छह प्रतिशत को पार कर सकती है.    बीते बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार की नजर अर्थव्यवस्था पर है और...

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बंजर में तब्दील होती मिट्टी -- रमेश कुमार दूबे

जिस रफ्तार से मिट्टी की उर्वरता में ह्रास हो रहा है उसे देखते हुए आने वाले वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य हासिल हो पाएगा इसमें संदेह है। मांग के अनुरूप अन्न पैदावार में बढ़ोतरी की चुनौती तो भविष्य की बात है, कुपोषण की व्यापकता तो हमें कब का घेर चुकी है। यही कारण है कि भरपेट खाने के बावजूद कमजोरी महसूस होती है। परिवार के बुजुर्ग यह शिकायत करते...

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किसानों को चाहिए साहसिक सुधार-- आलोक रंजन

देश के ज्यादातर राज्य गंभीर कृषि संकट की गिरफ्त में हैं। किसानों का असंतोष व उनकी बेचैनी दिनोंदिन आक्रामक होती जा रही है। मध्य प्रदेश के मंदसौर में जो कुछ हुआ, वह हमारे नीति-नियंताओं के लिए एक झकझोर देने वाला वाकया था। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि किसानों को उनकी फसलों का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उनकी आमदनी नहीं बढ़ रही है। दालों और...

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