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अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने से पहले मोदी सरकार हमें यह सच बताए कि इसमें गड़बड़ क्या है

भारतीय अर्थव्यवस्था एक ऐसे दौर से गुजर रही है जिसमें किसी अच्छी खबर को ढूंढ पाना मुश्किल हो गया है. आर्थिक वृद्धि सुस्त हो गई है. निर्यात निरंतर घटता जा रहा है. खुदरे की महंगाई बढ़ती जा रही है. रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं. बैंक क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट है. बिजली की खपत घट रही है. कर राजस्व काफी धीमी गति से बढ़ रहा है, बजट में लगाए...

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वैश्विक आर्थिक सुस्ती का कितना असर हुआ है देश के आयात-निर्यात पर, पढ़िए इस एलर्ट में..

घरेलू स्तर पर मांग में आयी कमी नहीं बल्कि अपने देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर व्याप्त आर्थिक सुस्ती की चपेट में है- क्या ऐसा कहना उचित है? अगर ये बात ठीक है तो फिर व्यापार से संबंधित आंकड़ों में इसकी झलक मिलनी चाहिए. ऐसी स्थिति में हमारे निर्यात में इजाफा और आयात में कमी परिलक्षित होनी चाहिए. लेकिन आंकड़ों से ऐसा नहीं झलकता- आंकड़ों से एक मिली-जुली तस्वीर झांकती...

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भारी बारिश से देशभर में 136 से ज्यादा लोगों की मौत

नई दिल्ली: पिछले चार दिनों में देश भर में भारी बारिश से जुड़ी घटनाओं में 136 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जिनमें सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं. बिहार में लगातार बारिश ने सामान्य जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है, राजधानी पटना के लगभग सभी क्षेत्रों में पानी भर गया है और दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग संघर्ष कर रहे हैं. मौसम विभाग ने...

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बयान / मेधा पाटकर ने कहा- एक व्यक्ति के लिए सरदार सरोवर बांध जल्दी भरा गया, 192 गांव जलमग्न हुए

भोपाल. नर्मदा बचाओ आंदोलन का नेतृत्व करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी से कहा कि केवल एक व्यक्ति के लिए सरदार सरोवर बांध को समय से पहले भरा गया। इस कारण मध्यप्रदेश के तीन जिले धार, बड़वानी और अलीराजपुर के लगभग 192 गांव जलमग्न हो गए। दरअसल, पाटकर का इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर था। उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार द्वारा बांध के जलस्तर...

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कहां ले जाएगी जल की अनदेखी -- रामचंद्र गुहा

बहुत साल हो गए, जब मेरा सामना पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारी की चौंकानी वाली परिभाषा से हुआ था, ‘हम एक सीमित क्षेत्र के भीतर से जो कुछ भी चाहते हैं, उसका उत्पादन करते हैं, तो हम उत्पादन के तरीकों की निगरानी की स्थिति में होते हैं; जबकि अगर हम पृथ्वी के किसी अन्य छोर से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, तो वहां उत्पादन की स्थितियों की गारंटी देना हमारे लिए...

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