नई दिल्ली. आम बजट 2018 मौजूदा सरकार का आखिरी फुल बजट होगा क्योंकि बहुत हद तक मुमकिन है कि 2019 में चुनाव की वजह से वोट ऑन एकाउंट पेश हो। ऐसे में कृषि सुधार से जुड़े कुछ ऐसे जरूरी मुद्दे हैं जिनपर बजट में ठोस एलान होना चाहिए। यह बहुत अजीब है कि एक तो ओर तो देश में 30 फीसदी कंज्यूमर भूखा है, 50 फीसदी बच्चे कुपोषण...
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बोलने की आजादी बनाम बड़बोलापन-- रमेश दवे
लोकतंत्र सभ्यता, शील और मर्यादा के उत्कर्ष की सत्ता-प्रणाली है। पर कुछ वर्षों में लोकतंत्र के शील का आसन भाषण की अराजकता से गंदा किया गया है। यह सच है कि भारत के सर्वश्रेष्ठ और विश्व के सबसे बड़े संविधान ने अनेक दायित्व, मर्यादाएं, सीमाएं और अभिव्यक्ति की आजादी का नागरिक और नैतिक अधिकार भी दिया है, लेकिन बोलना अगर बड़बोलापन बन जाए, अभिव्यक्ति अगर विकृति बन जाए और संविधान...
More »अवसाद की फैलती विषबेल-- मनीषा सिंह
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2015 में एक रिपोर्ट जारी करके दुनिया को चेताया था कि डिप्रेशन यानी अवसाद दुनिया की सबसे बड़ी मानसिक बीमारी बनने जा रहा है। अकसर ऐसी स्वास्थ्य-रिपोर्टों और चेतावनियों पर हमारी नजर नहीं जाती, या वक्त के साथ हम उन्हें भूल जाते हैं, पर इनसे जुड़े हादसे साबित करते हैं कि इन चेतावनियों को याद रखना कितना जरूरी है। जैसे, दिल्ली के नजदीक हरियाणा के...
More »बाल मजदूरी की जड़ें--- देवेन्द्र जोशी
भारत में बालश्रम एक समस्या तो है लेकिन विडंबना यह है कि यहां पहले से ही यह मान कर चला जाता है कि बच्चे इसलिए मजदूरी करते हैं कि इससे उनके परिवार का खर्च चलता है। यह तर्क अपने आप में इसलिए छलावा है कि इसको सच मान लेने का मतलब तो यह होगा कि सबसे गरीब परिवार के प्रत्येक बच्चे को स्कूल की पढ़ाई छोड़ कर काम पर लग...
More »ग्वालियर जिला कोर्ट में चपरासी के 57 पदों के लिए 60 हजार आवेदन
बलबीर सिंह, ग्वालियर। मध्यप्रदेश में युवाओं की बेरोजगारी से इस बार जजों का सिर चकरा रहा है। दरअसल, ग्वालियर जिला कोर्ट में चपरासी के महज 57 पदों के लिए आवेदन बुलाए गये थे, जिसमें 60 हजार आवेदन आए हैं। चौकानें वाली बात यह है कि पद का मानदेय सिर्फ साढ़े सात हजार रुपये है, लेकिन अधिकतर उम्मीदवार इंजीनियर, एमबीए और यहां तक कि पीएचडी डिग्रीधारी हैं। इन आवेदनों को देखकर...
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