मशहूर समाजशास्त्री एमएन श्रीनिवास ने कहा था कि गौहत्या पर प्रतिबंध की तरह ही शराबबंदी भी एक सांस्कृतिक कार्य है. श्रीनिवास के मुताबिक, इन प्रतिबंधों के लिए जो भी औचित्य गिनाये जायें, लेकिन हकीकत में इसके पीछे ब्राह्मणवादी और सवर्णवादी सोच है. हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि हमारे संविधान निर्माताओं ने एक ही दिन 24 नवंबर, 1948 को इन दोनों मुद्दों पर बहस की थी. मैं यहां यह तथ्य...
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दोहरी चुनौतियों के सामने- ऋतु सारस्वत
हाल ही में विश्व में प्रथम रैंकिंग प्राप्त टेनिस खिलाड़ी जोकोविच ने कहा कि पुरुष खिलाड़ियों के मैचों को दुनिया भर में महिलाओं के मैचों से ज्यादा देखा जाता है, इसलिए पुरुष खिलाड़ियों की कमाई ज्यादा होनी चाहिए। इससे पहले इंडियन वेल्स टूर्नामेंट के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी रेमंड मूर ने कहा था कि डब्ल्यूटीए टूर पुरुष खिलाड़ियों की बदौलत ही चल रहा है। ये दोनों वक्तव्य स्त्री के प्रति पुरुषवादी...
More »नफरत फैलाना राष्ट्रवाद नहीं -- आकार पटेल
बीते दिनों महाराष्ट्र में 'भारत माता की जय' न कहने को लेकर एक मुसलिम विधायक को निलंबित कर दिया गया. उस विधायक का कहना है कि 'भारत माता की जय' नहीं कहेंगे, बल्कि वे 'जय हिंद' कहेंगे. 'भारत माता की जय' या 'जय हिंद', इन दोनों नारों में अंतर क्या है, मैं सचमुच आश्वस्त नहीं हूं, लेकिन इतना जरूर है कि महाराष्ट्र के उस विधायक के निलंबन पर सवाल...
More »सवाल विज्ञान-मुखी बनने का है-- प्रमोद जोशी
विजय माल्या के पलायन, देशद्रोह और भक्ति से घिरे मीडिया की कवरेज में विज्ञान और तकनीक आज भी काफी पीछे हैं. जबकि इसे विज्ञान और तकनीक का दौर माना जाता है. इसकी वजह हमारी अतिशय भावुकता और अधूरी जानकारी है. विज्ञान और तकनीक रहस्य का पिटारा है, जिसे दूर से देखते हैं तो लगता है कि हमारे जैसे गरीब देश के लिए ये बातें विलासिता से भरी हैं. नवंबर...
More »आर्थिक उदय का वह नायक- संजय बारु
आज कच्चे तेल की कीमतों के गिरने पर दुनिया इस चिंता में दुबली हुई जा रही है कि इसका आर्थिक विकास पर कितना बुरा असर पड़ेगा। हालांकि कच्चे तेल के मामले में पूरी तरह आयात पर निर्भर भारत इस परिस्थिति पर न तो खुश होता दिखता है, और न ही दुखी। दरअसल, भारतीय नीति-नियंता उन कीमतों को नहीं भूल पाए हैं, जो उन्हें तेज वृद्धि के दौरान चुकानी पड़ी थी। उनका...
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