विदेशी निवेशक जब अपना रुपया भारतीय बाजार से निकालते हैं, तो डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कम हो जाती है. पिछले एक माह में विदेशी निवेशकों ने दो बिलियन डॉलर से अधिक रकम भारतीय शेयर बाजार से निकाल लिया है. नतीजन, डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में गिरावट तय है. इसका दूसरा समानांतर पहलू यह है कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ती...
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बंगाल में लोकतंत्र का मखौल-- प्रसेनजीत बोस
पश्चिम बंगाल का मौजूदा पंचायत चुनाव पूरी तरह से लोकतंत्र के साथ घटिया मजाक है. फिलहाल राज्य में पंचायत के पदों की संख्या करीब 48 हजार है. साल 1978 से हर पांच वर्ष पर राज्य में पंचायत के चुनाव हो रहे हैं. उस समय से दो बार- 2003 में वाम मोर्चे की सरकार और 2013 में तृणमूल कांग्रेस की सरकार के तहत- सबसे ज्यादा निर्विरोध उम्मीदवार चुने गये थे....
More »मानव तस्करी को रोकना जरूरी-- क्रेग एल हॉल
क्तियों की तस्करी, जिसे मानव तस्करी या आधुनिक गुलामी के रूप में भी जाना जाता है, एक छिपा हुआ अपराध है, जो किसी सीमा का लिहाज नहीं करता और दुनियाभर के देशों में सभी पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित करता है. भारत और अमेरिका ने व्यक्तियों, खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की तस्करी को प्रतिबंधित, दमित और दंडित करने के प्रोटोकॉल को, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के...
More »रुपया संभालने में सक्षम आरबीआई-- राजीव रंजन झा
सोमवार को कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय भावों में आयी उछाल और उसके साथ ही डॉलर की मजबूती ने भारतीय रुपये पर दोहरा वार किया और रुपया डॉलर की तुलना में 67 के स्तर के नीचे चला गया, यानी एक डॉलर की कीमत 67 रुपये से ज्यादा हो गयी. यह करीब डेढ़ साल में रुपये का सबसे कमजोर स्तर है. लोगों ने आशंका जतायी कि आनेवाले दिनों में डॉलर का भाव...
More »श्रम के भूमंडलीकरण की जरूरत-- कृष्णप्रताप सिंह
विडंबना देखिए कि भूमंडलीकरण के भरपूर व्याप जाने के बावजूद दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस सरकारी छुट्टी का दिन है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संस्थापक सदस्य भारत में नहीं. ऐसा क्यों है? दरअसल, 19वीं शताब्दी के नौवें दशक तक मजदूर अत्यंत कम व अनिश्चित मजदूरी पर सोलह-सोलह घंटे काम करने को अभिशप्त थे. सन् 1810 के आसपास ब्रिटेन में उनके सोशलिस्ट संगठन ‘न्यू लेनार्क' ने राबर्ट ओवेन...
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