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बिहार में 1,200 से अधिक प्रत्याशियों ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामलों की घोषणा की है: एडीआर

-द वायर, बिहार चुनाव में 1,200 से अधिक उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है, जिनमें से 115 महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में आरोपी हैं और 73 पर हत्या का मामला दर्ज है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. रिपोर्ट के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनावों में खड़े 3,722 प्रत्याशियों के हलफनामों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 1,201...

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सीबीआई एक ऐसा तोता है जिसे सभी राजनीतिक दल आजाद तो रखना चाहते हैं लेकिन तभी जब विपक्ष में हों

-सत्याग्रह, सीबीआई फिर सुर्खियों में है. दिल्ली की एक अदालत ने मोइन कुरैशी मामले की जांच के प्रभारी उसके संयुक्त निदेशक को एक समन भेजा है. इसमें उन्हें 17 नवंबर को पेश होने को कहा गया है. अदालत उनसे इस मामले में सीबीआई के पूर्व निदेशकों एपी सिंह और रंजीत सिन्हा की भूमिका के बारे में जानना चाहती है. वह इस हाई प्रोफाइल केस में जांच की धीमी गति से नाराज...

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यूपी-बिहार में दलित-राजनीति की दुर्गति!

-न्यूजक्लिक, उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिए 9 नवम्बर को होने वाले चुनावों के समीकरण में अचानक एक दिलचस्प मोड़ नहीं आता तो भी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की भाजपा से बढ़ती नजदीकियां अब किसी से छिपी नहीं हैं! राष्ट्रीय राजनीति के बड़े सवालों की बात तो दूर रही, यूपी या देश के दूसरे हिस्सों में हाल के दिनों में दलित या व्यापक बहुजन समाज के उत्पीड़न की...

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कोसी तटबंध तोड़ने का सच

-वाटर पोर्टल, यमुना प्रसाद मंडल, सांसद ने डलवा में तटबंध टूटने की समीक्षा करते हुये 4 सितम्बर 1963 को कहा था कि, डलवा के निकट जो खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो गई थी, उस ओर हमने अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया लेकिन मैं यह कहते हुए लज्जित हूं कि उस दुरावस्था की ओर उस समय कदम नहीं उठाया गया। तब नेताओं को अपनी असफलता पर शर्म आया करती थी। अरसा हुआ यह रस्म...

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भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन: 100 साल के सफ़र के पाँच पड़ावों ने बदला इतिहास

-बीबीसी,  भारत में ही नहीं यूरोप या किसी अन्य महाद्वीप में आज कम्युनिस्ट आंदोलन बहुत मजबूत नहीं रह गया है. लेकिन इस दौरान इस विचारधारा की राजनीति भारत में अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं. अब तक के इस सफ़र के पांच सबसे अहम पड़ाव और भारतीय राजनीति में उनके मायनों पर एक नज़र: 1. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ताशकंद में स्थापना-कांग्रेस के साथ रिश्ते भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की शुरुआत 17 अक्टूबर, 1920...

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