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ग्रामीण भारत को ‘मेगा पुश’- प्रमोद जोशी

मोदी सरकार ने चार राज्यों के चुनाव के ठीक पहले राजनीतिक जरूरतों का पूरा करनेवाला बजट पेश किया है. इसमें सबसे ज्यादा जोर ग्रामीण क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों पर है. राजकोषीय घाटे को 3.5 प्रतिशत रखने के बावजूद सोशल सेक्टर के लिए धनराशि का इंतजाम किया गया ोहै. अजा-जजा उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम भी इसका संकेत देते हैं.  बजट का संदेश है कि अमीर ज्यादा...

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टैक्स इतना ले लिया, दोगे कितना!-- अनिल रघुराज

आजाद भारत का पहला बजट नवंबर 1947 में पेश किया था. तब से लेकर अब तक के 68 सालों में अगर देश के कोने-कोने तक सड़क, बिजली, पानी व सिंचाई का भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसा सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं पहुंचा है, तो इसके लिए हम और हमारे बाप-दादा ही दोषी हैं. हम सिर नीचा किये गाय की तरह घास चरते रहे. कभी सिर उठा कर पूछा नहीं कि...

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कैसा हो हरदिल अजीज बजट- सुषमा रामचंद्रन

आगामी आम बजट सरकार के लिए बहुत खास है। उसकी दशा-दिशा के लिए यह बेहद मायने रखता है। वैसे तो हर आम बजट देश के वित्त मंत्री के लिए एक चुनौती होता है और सभी को खुश करना भी आसान नहीं, लेकिन अरुण जेटली के लिए एनडीए सरकार का यह तीसरा बजट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई अर्थों में सरकार का राजनीतिक भविष्य इस बजट पर निर्भर करेगा। मोदी सरकार बड़े...

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नीति आयोग : एक साल का सफर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा था कि वे योजना आयोग की जगह नयी संस्था बनाना चाहते हैं. इस घोषणा के अनुरूप, 1 जनवरी, 2015 को उन्होंने नीति आयोग बनाने की घोषणा की. इस नयी संस्था से देश को काफी अपेक्षाएं हैं. इसे जहां व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा तथा कौशल विकास जैसे मसलों पर ज्ञान के सृजन और...

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कब कमर कसेगी सरकार-- शंकर अय्यर

आप इसे बजट राग कह सकते हैं, जो पैसे के मूल मंत्र पर केंद्रित है। बजट के मौसम में सरकारी विचार कक्ष में पैसे के बारे में काफी चर्चा होती है। इस बार भी चर्चा हो रही है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना चाहिए या उसकी चिंता छोड़ देनी चाहिए। चर्चा इस पर भी है कि किसे दर्द सहना चाहिए और किसे फायदा होगा। विकास का सिद्धांत...

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