क्या आप कभी यह सोच भी सकते हैं कि रसोईघर में बनाया जानेवाला भोजन अब लैब में भी बन सकता है? पर ऐसा संभव है. बानगी देखिए, लंदन में कुछ महीने पहले एक ऐसे बर्गर का प्रदर्शन प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किया गया, जो लैब में तैयार किये गये मांस (मीट) से बना था. नीदरलैंड के वैज्ञानिकों का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक मार्क पोस्ट ने गाय की स्टेम कोशिकाओं की मदद...
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विषमता का विकास और राजनीति- सुरेश पंडित
जनसत्ता 26 दिसंबर, 2013 : जैसे-जैसे सोलहवीं लोकसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ रही है। कांग्रेस और भाजपा अपने अधिकतम भौतिक और मानवीय संसाधन झोंक कर इस चुनाव को किसी भी तरह जीत लेने के लिए कटिबद्ध दिखाई दे रही हैं। मतदाताओं को रिझाने के लिए उनके पास विकास के अलावा और कोई खास मुद्दा नहीं है और चूंकि इसे पहले भी कई बार आजमाया...
More »बिना बिचड़े, बिना पानी के धान की खेती- राहुल सिंह
रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड के कुच्चू गांव के किसान बालक महतो झारखंड में कृषि जगत के जाने-पहचाने नाम हैं. राज्य की राजधानी रांची के बड़े कृषि संस्थान कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय व पलांडू स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के क्षेत्रीय केंद्र के ज्यादातर वैज्ञानिक बालक महतो के खेती को लेकर उनकी योग्यता व योगदान के कारण अच्छे से जानते हैं. इन संस्थाओं में उन्हें छात्रों को संबोधित करने के...
More »गन्ने की कड़वाहट- अरविन्द कुमार सेन
जनसत्ता 30 नवंबर, 2013 : सियासत का हद से ज्यादा हस्तक्षेप किस तरह एक संगठित उद्योग को तबाही के कगार पर ला खड़ा करता है, गन्ना उद्योग इसकी मिसाल है। कुछ समय पहले सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस चुके मुजफ्फरनगर-शामली इलाके के लोगों को अब गन्ने के दाम की फिक्र सता रही है। आमतौर पर उत्तर प्रदेश में सरकार अगस्त-सितंबर में मिल मालिकों और किसानों से बातचीत करके आरक्षी क्षेत्र...
More »नमक सेजुड़े नए सवाल- अनिल चमड़िया
जनसत्ता 11 अक्तूबर, 2013 : कई गंभीर घटनाएं हो रही हैं, लेकिन लोगों का मानस इस तरह का बना दिया गया है कि वे किसी विषय के इतिहास को लेकर तो बोलते हैं, उसके मौजूदा हालात पर कुछ सुनने को तैयार नहीं होते। कई बार लगता है कि सुनने की शारीरिक प्रक्रिया को भी एक खास तरह के ढांचे में ढाल देने में बाजारवादी विचारों को कामयाबी मिली है। तात्कालिक संदर्भ...
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