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इंसानियत हुई शर्मसार, मां की कोख से फर्श पर गिरा बच्चा

हजारीबाग। हजारीबाग के सदर अस्पताल की संवेदनहीनता और लापरवाही के कारण रविवार को एक मां की गोद सूनी हो गई। उसका जिस्म प्रसव वेदना से तड़पता रहा। वह चीखती चिल्लाती रही। परिजन उसे एडमिट करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे। डॉक्टरों का दिल जरा भी नहीं पसीजा। आखिर जब गर्भवती की पीड़ा आंखों से बहने को हुई तो उसने दीवार का सहारा ले लिया। उसके बाद धड़ाम की आवाज हुई। उसके पैर के...

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नक्सली हमला: हर तरफ से बरसीं गोलियां

रायपुर/गरियाबंद.छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर सोमवार शाम हुए नक्सली हमले में जवानों को जवाबी कार्रवाई का मौका ही नहीं मिला। मंगलवार को मौके पर पहुंचे भास्कर संवाददाता के मुताबिक चारों ओर से बरसाई गइं गोलियों से सूमो बिंधी पड़ी थीं और एडिशनल एसपी राजेश पवार समेत नौ जवानों की लाशें बिखरीं। वहीं दल में शामिल सिपाही होलीराम साहू अब तक लापता है। कच्ची सड़क की मोड़ पर घात लगाए नक्सलियों के पास लाइट मशीनगन, एसएलआर...

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भट्टा-परसौल कांड: एनएचआरसी की रिपोर्ट में पुलिस दोषी

नोयडा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की शुरुआती रिपोर्ट में यूपी पुलिस को दोषी पाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी पुलिस ने संघर्ष के दौरान किसानो और महिलाओं के साथ ज्यादती की थी।गौरतलब है कि भट्टा पारसौल गांव में मंगलवार को मानवाधिकार आयोग की ६ सदस्यीय टीम पहुंची और ग्रामीणों से गहनता से जांच पड़ताल की थी। टीम ने धरना स्थल और बिटोरों की राख का मुआयना करने के बाद...

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मजदूरों के हाथ-पांव में कीलें ठोंकी

रोजी-रोटी की तलाश में झारखंड से चेन्नई गये छह मजदूरों को नक्सली कह कर पीटा गया, उनके पैरों में कीलें ठोंकी गयी. हर साल लगभग पचास हजार मजदूर काम की तलाश में बाहर जाते हैं. अन्य राज्यों में यहां से काम और पढ़ाई के लिए गये मजदूरों व छात्रों को कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है. रांची के दो छात्रों की मुंबई में हुई हत्या भी साबित करती है कि झारखंड...

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लोकतंत्र का लट्ठ- रेयाज उल हक (तहलका)

भट्टा-पारसौल में जो हुआ और जिस अंदाज में हुआ उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार को असहमति और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार की जरा भी परवाह नहीं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट अगर यह लोकतंत्र है तो भट्टा-पारसौल के लोगों ने इसका मतलब देखा और महसूस किया है. देश की संसद से बमुश्किल 70 किलोमीटर दूर बसे 6000 जनों की आबादी वाले इस गांव ने लोकतंत्र को गोलियों के रूप...

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