हरियाणा के सुनपेड़ की घटना के बाद केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने जो बयान दिया था, उसे लेकर गुबार अब थम चुका है। इस घटना को लेकर अब तमाम तरह की व्याख्याएं भी आ रही हैं। लेकिन जिस समय यह बयान दिया गया था, उस समय इस घटना की एक ही कहानी थी और वह बेहद दर्दनाक है। पुलिस में दर्ज एफआइआर के मुताबिक एक दलित परिवार के घर...
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समस्याओं के शिखर, खाली होते पहाड़- अनिल प्रकाश जोशी
उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के पीछे सोच यह थी कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां और दुर्गमता विकास के अलग रास्ते की मांग करते हैं। स्थानीय लोगों को यकीन था कि उनके हालात को समझने की क्षमता मैदानी नीतिकारों में नहीं है। केंद्र को झुकना पड़ा और राज्य की मांग पूरी हुई। लेकिन अब पलटकर देखें, तो इन 15 वर्षों में उत्तराखंड को आठ मुख्यमंत्रियों के अलावा शायद ही कोई...
More »घटी सरसों की पैदावार तो बढ़े तेल के दाम
नई दिल्ली। दालों के साथ अब सरसों तेल भी अपना रंग बदलने लगा है। जिंस बाजार में सरसों तेल के मूल्य में तेजी का रुख बनने लगा है। राष्ट्रीय राजधानी में सरसों तेल का मूल्य पिछले छह महीने के भीतर करीब 25 फीसद बढ़कर 145 रुपये किलो तक पहुंच गया है। मूल्य वृद्धि के लिए बीते रबी सीजन में सरसों की कम पैदावार को जिम्मेदार बताया जा रहा है। पिछले...
More »सिर्फ़ 1411 शेर बचे हैं, किसान अभी बहुत हैं!-- अजय शर्मा
तेलंगाना के महबूबनगर ज़िले के गांव गुरुराव लिंगमपल्ली में मेरी मुलाक़ात अंजम्मा से हुई. वो एक किसान की बेवा हैं. अंजम्मा के हाथ में 30 हज़ार रुपए के क़र्ज़ का पर्चा था, जिसे देख-देखकर उनका मन रोने को हो आता. शायद इस गांव में उनके आंसुओं के पीछे मौजूद दर्द समझने वाला कोई नहीं. आख़िर ये लिंगमपल्ली में किसी किसान की पहली मौत जो है. हालांकि लिंगमपल्ली में सूखा और क़र्ज़ सभी किसानों...
More »बलिदान नहीं, योगदान चाहिए - आनंद पांडे
संयुक्त परिवार की यूं तो तमाम खूबियां-खामियां होती हैं... पर उसकी एक सबसे बड़ी खूबी होती है- परिवार का आर्थिक संबल। परिवार के आर्थिक रूप से सबसे कमजोर सदस्य को भी इस बात का पूरा भरोसा रहता है कि संयुक्त परिवार की वजह से उसकी पत्नी या बच्चों को कभी भी दो जून की रोटी का संकट नहीं आएगा। उनके महंगे शौक भले ही पूरे न हों, लेकिन मूलभूत जरूरतें पूरी...
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