इस समय देश में किसानों और कृषि क्षेत्र की हालत अच्छी नहीं है। ग्रामीण इलाकों में खपत में कमी और देहातों में बढ़ती परेशानी गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। यह चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि खराब मौसम की मार के चलते कृषि क्षेत्र का संकट इस साल और गहराने की आशंका है। दूसरी ओर, वैश्विक स्तर पर जिंस बाजार के असामान्य व्यवहार और कीमतों में गिरावट...
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सूखे की मार से मवेशी भी बेजार-- पंकज चतुर्वेदी
भीषण सूखे से बेहाल बुंदेलखंड का एक जिला है छतरपुर। यहां सरकारी रिकॉर्ड में 10 लाख 32 हजार चौपाए दर्ज हैं, जिनमें से सात लाख से ज्यादा तो गाय-भैंस ही हैं। तीन लाख के लगभग बकरियां हैं। चूंकि बारिश न होने के कारण कहीं घास बची नहीं है, सो अनुमान है कि इन मवेशियों के लिए हर महीने 67 लाख टन भूसे की जरूरत है। इनके लिए पीने के पानी...
More »जरूरी है इन्नोवेशन का रोडमैप-- भरत झुनझुनवाला
नये उद्यमियों की मदद का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प स्वागतयोग्य है. देश के युवाओं के पास नये उद्योग लगाने के आइडिया हैं, परंतु कार्यान्वित करने के लिए पूंजी नहीं है. सरकार द्वारा इन्हें समर्थन देने से इनकी छिपी हुई ऊर्जा बाहर आ सकती है और देश को आगे बढ़ा सकती है. लेकिन, केवल आर्थिक मदद से काम नहीं बनेगा, सही वातावरण भी बनाना होगा. तमाम ऐसे आइडिया हैं, जिन्हें...
More »सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार मानकर 160 किसानों की जमीन वापसी की मांग
भोपाल। भोपाल को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक के पूर्व अध्यक्ष व जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के पूर्व पदेन संचालक विजय तिवारी ने मांग की है कि राजधानी के 160 किसानों की कृषि भूमि औने-पौने दाम में खरीदने वाले रसूखदारों से जमीन वापस किसानों को दिलाई जाए। उन्होंने कहा कि 160 में से दो किसान अकबरी बानो और आजम खां सुप्रीम कोर्ट से केस जीत गए हैं और सुप्रीम कोर्ट...
More »आधी अधूरी खाद्य व्यवस्था-- जाहिद खान
तत्कालीन यूपीए सरकार जब साल 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लेकर आई, तो यह उम्मीद बंधी थी कि इस विधेयक के अमल में आ -जाने के बाद देश की 63.5 फीसद आबादी को कानूनी तौर पर तय सस्ती दर से अनाज का हक हासिल हो जाएगा। अफसोस, इस कानून को बने तीन साल हो गए, मगर यह आज भी पूरे देश में अमल में नहीं आ पाया है। नौ...
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