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न्यूज क्लिपिंग्स् | बेहाल किसान और ढेर सारी योजनाएं- जयंतीलाल भंडारी

बेहाल किसान और ढेर सारी योजनाएं- जयंतीलाल भंडारी

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published Published on Feb 11, 2016   modified Modified on Feb 11, 2016
इस समय देश में किसानों और कृषि क्षेत्र की हालत अच्छी नहीं है। ग्रामीण इलाकों में खपत में कमी और देहातों में बढ़ती परेशानी गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। यह चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि खराब मौसम की मार के चलते कृषि क्षेत्र का संकट इस साल और गहराने की आशंका है। दूसरी ओर, वैश्विक स्तर पर जिंस बाजार के असामान्य व्यवहार और कीमतों में गिरावट ने देश के कृषि क्षेत्र के लिए एक और संकट खड़ा कर दिया है।

वैसे यह हाल पिछले दो साल से लगातार बना हुआ है। इन दो सालों में देश ने सूखा देखा है और बेमौसमी बरसात भी देखी है। यह लगातार तीसरा वर्ष है, जब गेहूं और प्रमुख रबी फसलों का बुआई क्षेत्र कमजोर रहा है। बीते छह साल में हर वर्ष फसल मौसम की नमी में कमी आई है। लेकिन 2015-16 में फसल मौसम सबसे गरम रहा है। इस बार रबी सीजन में करीब 18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई कम हुई है, इसलिए उत्पादन कमजोर रह सकता है। इसका असर कीमतों पर पड़ेगा। गेहूं, दालों और तिलहनी फसलों के दाम बढ़ने की आशंका है।

यह सब उस समय हो रहा है, जब सरकार ने कृषि क्षेत्र में चार प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने का लक्ष्य रखा है। कृषि क्षेत्र में ऊंची वृद्धि हासिल करने के लिए सार्वजनिक और निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2004-05 से 2012-13 के दौरान कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश की वृद्धि दर 11.42 प्रतिशत रही, जबकि इसी दौरान निजी निवेश की वृद्धि दर 19.81 प्रतिशत रही है। निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने, जमीन पट्टा नीति में सुधार करने, आसान बाजार पहुंच और किसानों में कुशलता विकास व प्रशिक्षण पर ध्यान दिए जाने से कृषि क्षेत्र के बाहर भी रोजगार निर्मित हो सकते हैं।

अगर देश के डेढ़ लाख से ज्यादा गांवों को हर मौसम में इस्तेमाल लायक पक्की सड़कों से जोड़ने का मकसद पूरा करना है, तो आगामी बजट में वित्त मंत्री को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के लिए बजट आवंटन में 15,100 करोड़ रुपये का इजाफा करना होगा। तभी यह लक्ष्य वर्ष 2019 तक पूरा हो सकेगा। सरकार के झोले में ऐसी बहुत-सी योजनाएं हैं, जैसे मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई विकास योजना। ये सब योजनाएं किसानों के लिए फायदे की हो सकती हैं, बशर्ते सरकार पर्याप्त धन उपलब्ध कराए।

सबसे जरूरी चीज है नई 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' को जमीन पर उतारना। निजी क्षेत्र की मौसम एजेंसी स्काईमेट और एसोचैम के एक अध्ययन के मुताबिक, भारत के करीब 14 करोड़ किसान परिवारों में से 20 प्रतिशत से भी कम फसल बीमा कराते हैं। यही वजह है कि मौसम की मार पड़ने पर उनकी स्थिति खराब हो जाती है। कर्ज लेने वाले किसान भी बीमा नहीं कराते, जबकि उनके लिए बीमा कवर जरूरी है। असल समस्या योजना लोगों तक पहुंचाने की है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)


http://www.livehindustan.com/news/guestcolumn/article1-farmer-agriculture-plans-516329.html


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