रायपुर. आलू के शौकीनों के लिए आने वाले दिन भारी पड़ने वाले हैं। माल की शॉर्टेज से पिछले दो महीने के अंदर ही आलू की कीमत दोगुनी हो चुकी है। रेट बढ़ने का सिलसिला खत्म नहीं होने वाला। अगले दो से तीन हफ्तों के अंदर इसकी कीमत 14 रुपए से बढ़कर 18-20 रुपए किलो तक पहुंचने की संभावना है। कीमतों में इतनी तेजी की वजह आलू का स्थानीय उत्पादन जरूरत से बहुत कम...
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दबंगई की इंतहा, फूंक डाली दलितों की फसल
दलितों के साथ दबंगई की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। सहारनपुर के कांसेपुर में गुर्जरों ने पट्टे की जमीन पर फसल काटने गए दलितों की बेरहम तरीके से पिटाई कर दी। दूसरी घटना यहां के गंगोह के मानपुर में हुई। मानपुर में दबंगों ने दलितों की 15 बीघा गेहूं की तैयार फसल में आग लगा दी। पीड़ितों की तहरीर पर पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर...
More »झारखंड: संगीनों पर सुरक्षित गांव- चंद्रिका की रिपोर्ट
यह उन लोगों की कहानियां हैं, जो आजादी, इंसाफ और शांति के साथ जीना चाहते हैं. अपने गांव में खेतों में उगती हुई फसल, अपने जानवरों, अपनी छोटी-सी दुकान और अपने छोटे-से परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यह चाहना एक अपराध है. अमेरिका, दिल्ली और रांची में बैठे हुक्मरानों ने इसे संविधान, जनतंत्र और विकास के खिलाफ एक अपराध घोषित कर रखा है. उनकी फौजें गांवों...
More »महिलाओं ने ठाना और संवार दी अपने परिवार की किस्मत
महासमुंद. महिलाएं अबला नहीं, अब सबला हो गई हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बागबाहरा वनांचल के भलेसर पंचायत में देखने को मिल रहा है। पंचायत के आश्रिम ग्राम द्वारतरा की महिलाओं ने सरकारी मदद से सिलाई प्रशिक्षण का संचालन शुरू किया है। माडा पैकेज योजना से यहां की बीस महिलाओं को सिलाई मशीन का वितरण किया गया है। महिलाएं अब घर में ही रोजी कमाने में सक्षम हो गई हैं। योजना से लाभांन्वित मनोरमा...
More »क्यों गायब हो रहे हैं छोटे किसान - सुभाष चंद्र कुशवाहा
आर्थिक उदारीकरण में खेती-किसानी को कहीं भी महत्व नहीं दिया जाता। लेकिन भारत में कृषि नीति के प्रति सरकार की लगातार उदासीनता इसलिए घातक है कि सेवा क्षेत्र के विकास के बावजूद कृषि क्षेत्र आज भी अर्थव्यवस्था की धुरी है। यह हताशाजनक ही है कि सरकार बजट-दर-बजट खेती-किसानी को घाटे का सौदा साबित करने पर तुली है। बाहरी दबावों और कॉरपोरेट हितों के लिए कृषि क्षेत्र को तबाह करने का...
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