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न्यूज क्लिपिंग्स् | महिलाओं ने ठाना और संवार दी अपने परिवार की किस्मत

महिलाओं ने ठाना और संवार दी अपने परिवार की किस्मत

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published Published on Apr 18, 2012   modified Modified on Apr 18, 2012
महासमुंद. महिलाएं अबला नहीं, अब सबला हो गई हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बागबाहरा वनांचल के भलेसर पंचायत में देखने को मिल रहा है। पंचायत के आश्रिम ग्राम द्वारतरा की महिलाओं ने सरकारी मदद से सिलाई प्रशिक्षण का संचालन शुरू किया है।



माडा पैकेज योजना से यहां की बीस महिलाओं को सिलाई मशीन का वितरण किया गया है। महिलाएं अब घर में ही रोजी कमाने में सक्षम हो गई हैं। योजना से लाभांन्वित मनोरमा ठाकुर, पुष्पा ठाकुर, बुधियारिन ठाकुर और गैंदीबाई बताती हैं कि सरपंच यशोदा सिन्हा ने ग्राम सुधार की दिशा में गंभीर प्रयास किए हैं।



परिवार की आमदानी में महिलाओं की भागीदारी 60 फीसदी होने लगी है। पहले यहां की महिलाएं काम की तलाश में दूसरे प्रांतों को पलायन कर जाती थीं, लेकिन अब सरकारी योजनाओं के चलते गांव में ही इतने काम संचालित हो रहे हैं कि पुरूषों को भी गांव से बाहर काम तलाशने की जरूरत नहीं पड़ रही है। गांव में सरकारी योजनाएं इतनी चल रही हैं कि उन्हें अब सोचना पड़ रहा है कि आने वाले दिनों में गांव विकास के लिए किन-किन क्षेत्रों से काम हासिल किया जाए। वनोपज के सहारे इस गांव की आधी आबादी है। तेंदूपत्ता के साथ-साथ चार और चिंरौंजी, महुआ व्यवसाय इन्हें खूब धन देती हैं।


माध्यमिक शिक्षा के बाद पढ़ाई छुड़ा देने वाले गांव में उच्च शिक्षा पा रही बेटियां

सालभर पहले भलेसर और आसपास के गांवों की बेटियां माध्यमिक शिक्षा हासिल करने के बाद घर के काम में जुट जाती थीं, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए दस से बारह किमी की दूरी तय करनी पड़ती थी। जंगल क्षेत्र होने के कारण मां-बाप बेटियों को शिक्षा के लिए इतनी दूर भेजना उचित नहीं समझते थे, लेकिन ग्राम सुराज अभियान में हाई स्कूल की मांग को राज्य शासन ने गंभीरता से लिया और इस शैक्षणिक सत्र में बेटियों को गांव में उच्च शिक्षा मिल रही हैं। अब यहां आदिवासी कन्या छात्रावास की आवश्यकता बता रहे ग्रामीणों को विश्वास है कि इस ग्राम सुराज अभियान में उनकी इस मांग को भी पूरा किया जाएगा और वनांचल के दूसरे गांवों की आदिवासी बेटियों को भी भलेसर में रहकर उच्च शिक्षा हासिल हो सकेगी। क्षेत्र में भुंजिया कमार जनजाति की लड़कियां पढ़ाई नहीं कर पा रहीं हैं।


सुराज ने बदल दी गांव की तस्वीर

सुराज अभियान को लेकर गांव के लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है, इस दिन का यहां के ग्रामीणों को सालभर से इंतजार हो रहा था। ग्रामीण मेघराज चंद्राकर, जगतराम जगत, कांशीराम पटेल, मोतीराम बरिहा, अघनसिंह ठाकुर व पीलाराम यादव ने बताया कि पिछले दो साल से गांव के लोग सुराज अभियान में अपनी बात रखते आ रहे हैं। सुराज के दौरान की गई लगभग सभी मांगों ने मूर्त रूप लिया है। भलेसर में हाईस्कूल खुल गया और उसका भवन बन रहा है।

स्वास्थ्य सुविधा के लिए उपस्वास्थ्य केंद्र खोला गया है। पंचायत की कार्रवाई चबूतरे में नहीं पंचायत भवन में हो रही है। स्कूल भवनों के लिए आहता की स्वीकृति मिली है। गांव में पेयजल संकट को दूर करने के लिए स्पाट सोर्स से घरों के करीब पानी पहुंच रहा है। यहां के गांवों को राजीव गांधी जलग्रहण मिशन और माडा पैकेज योजना में जोड़ने की मांग भी पूरी हो गई है। नहर लाइनिंग का काम होने से खेतों तक आसानी से पानी पहुंच जाने की उम्मीद है। किसान अब दो फसल की तैयारी भी करने लगे हैं।

http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-the-women-decided-and-arranged-his-familys-fortunes-3130194.html


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