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महीने में 35 किलो गेहूं-चावल के भी लाले

देहरादून। प्रदेश के एपीएल उपभोक्ताओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से प्रतिमाह 35 किलो खाद्यान्न भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। केंद्र से गेहूं व चावल का पर्याप्त कोटा नहीं मिलने से पिछले दो वर्ष से उत्तराखंड खाद्यान्न संकट का सामना कर रहा है। खाद्य मंत्रालय ने इस मामले में लगातार केंद्र से पत्राचार किया, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली निरंतर कमजोर हो रही है। सरकारी सस्ते गल्ले...

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सरकारी खरीद से देश में बढ़ सकते हैं गेहूं के दाम

नई दिल्ली : सरकार अगर गेहूं की आगामी फसल की बड़े पैमाने पर खरीद करती है तो इससे इसके दाम बढ़ सकते हैं। देश में गेहूं की सबसे अधिक खरीद करने वाला भारतीय ...

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महंगाई ने बदला जीवन शैली को

 नई दिल्ली-  महंगाई ने पिछले एक साल में लोगों की जीवन शैली में काफी बदलाव पैदा किया है। उच्च मध्य वर्ग के परिवारों में हालांकि इस महंगाई का असर ज्यादा नहीं दिखाई देता लेकिन ऐसे परिवार भी मानते हैं कि मामूली ही सही, उनकी लाइफस्टाइल में भी बदलाव जरूर आया है। सब्जियों, शक्कर, खाद्यान्न, दालों, दूध, घी, मिठाइयां और दूसरी तमाम खाने-पीने से जुड़ी चीजों की कीमतें इस दौरान दोगुनी तक...

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2015 तक देश में 8.74 करोड़ नौकरियां

नयी दिल्ली : निर्माण, व्यापार और विनिर्माण क्षेत्र में तेज प्रगति से वर्ष 2015 तक देश में तकरीबन आठ करोड़ 73 लाख 70 हजार नयी नौकरियां सृजित होंगी. उद्योग संगठन ऐसोचेम के भविष्य में रोजगार के नए असवर विषय पर तैयार ताजा अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार देने के मामले में विनिर्माण क्षेत्र अव्वल होगा. व्यापार तथा निमार्ण क्षेत्र क्रमश दूसरे और तीसरे स्थान पर रहेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा दो करोड़ 78 लाख...

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हिमाचल गरीब, लोग अमीर

शिमला [रचना गुप्ता]। छोटा सा पहाड़ी प्रदेश हिमाचल गरीब हो रहा है। हालाकि प्राकृतिक संपदा से लबरेज राज्य की आमदनी वर्ष दर वर्ष घट रही है, लेकिन यह भी हकीकत है कि यहा के लोग मालामाल हो रहे हैं। राज्य की कंगाली के पीछे का कारण है लोगों का कृषि से मोह भंग होना और लोगों की अमीरी यानी प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की वजह है नौकरियों व उद्योगों में दिलचस्पी लेना। आजीविका में...

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