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गेहूं भंडारण का प्रबंधन फिफ्टी-फिफ्टी - अश्विनी शर्मा, करनाल

धरती को मेहनत से सींचकर एक-एक दाना उगाने वाले किसान बरसात में गेहूं को भीगते हुए देखकर रुआसा हो जाते हैं। उचित भडारण न होने से जुंडला में हजारों क्विंटल गेहूं बरसात में भीग गया, तो इंद्री में हजारों क्विंटल गेहूं में सुरसुरी लग गई। राहत की बात यह है कि असंध, घरौंडा, करनाल, नीलोखेड़ी आदि छोटी मंडियों से खरीदे गए गेहूं का उचित भंडारण होने से बरसात की मार...

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रामदेव के 'सत्‍याग्रह' का डर? काले धन का पता लगाएगी सरकार

नई दिल्‍ली. काले धन के मामले पर विपक्षी दलों के दबाव और योग गुरू बाबा रामदेव के सत्‍याग्रह को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी अब तेजी दिखानी शुरू कर दी है। देश में कितना काला धन है, इसका पता लगाने के लिए सरकार ने एक स्‍टडी कराने का फैसला किया है। यह काम देश के तीन संस्थानों को संयुक्त तौर पर सौंपा गया है। इसके तहत न सिर्फ देश में बल्कि...

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ग्रीन हाउस गैसें, हम दूसरे नंबर पर : डूंगर सिंह राजपुरो

जयपुर. वाहनों, एसी, रेफ्रिजरेटर, उद्योगों से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैसों (हानिकारक) की सूची में जयपुर देश में काफी आगे है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एन्वायरनमेंट एंड डवलपमेंट की हाल ही जारी रिपोर्ट के अनुसार जयपुर में प्रति व्यक्ति सालाना ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 1.63 टन है, जो गुड़गांव को छोड़कर सर्वाधिक है। हालांकि इसमें मुंबई की स्थिति का अध्ययन नहीं किया गया है। जयपुर में हर साल करीब 56 लाख टन ग्रीन...

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लोकपाल बिल पर बैठक आज, होगी कड़े दंड की मांग

नयी दिल्लीः लोकपाल विधेयक की संयुक्त प्रारूप समिति की आज होने वाली बैठक में समाज के सदस्य उच्च अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों में उम्रकैद समेत गंभीर दंड के प्रावधान की जोरदार वकालत कर सकते हैं. वे यह भी मांग करेंगे कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारी को कम से कम एक साल की सश्रम कैद और अधिक से अधिक उम्र कैद की सजा होनी चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की अगुवाई में...

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फ़िर दांव पर कोसी वासियों का जीवन

सुपौल : सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, कटिहार के लोगों को फ़िर से कोसी के कहर का डर सताने लगा है. कारण भारत-नेपाल के अधिकारियों के बीच मीटिंग का लंबा दौर पर पायलट चैनल का निर्माण नहीं हो सका. अगस्त 2008 की कोसी त्रासदी से बचने के लिए सुझाये तो गये पर उपाय अस्थायी साबित हो रहे हैं. कोसी को नियंत्रित करने के लिए 1955 में वीरपुर से कोपड़िया तक 125 किलोमीटर तथा...

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