-गांव कनेक्शन, कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से हम और आप ही नहीं मधुमक्खियां भी अपने घरों (बॉक्स) में कैद होकर रह गई हैं। ज्यादातर मधुमक्खियों के लिए ये माइग्रेशन (एक जगह से दूसरी जगह जाने) का टाइम था। जिसके चलते करोड़ों मधुमक्खियां मरने के कगार पर पहुंच गई हैं। अगर ये मधुमक्खियां सही समय पर अपने अनुकूल भोजन और जलवायु इलाके में न पहुंची तो तो न सिर्फ भारत में...
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कोरोना वायरस: राजस्थान में फंसे बिहार, यूपी, झारखंड समेत कई राज्यों के छात्र
-बीबीसी, देशभर में लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के कारण लॉकडाउन को 14 अप्रैल से बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया है. लॉकडाउन बढ़ने के साथ ही राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए देशभर से आए छात्र फंस गए हैं. "हम पूरी तरह से फंस चुके हैं कोटा में. सोचा था निकलने का कोई ज़रिया निलेगा, लेकिन गवर्नमेंट और कोचिंग की तरफ़...
More »देशभर में बढ़ रहा है प्रवासी मजदूरों में असंतोष, मुंबई- सूरत में सड़कों पर उतरे, दिल्ली हुई सतर्क
-द प्रिंट, कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा करने के कुछ ही घंटे बाद मुंबई और सूरत की सड़कों पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए. सभी ने मांग की कि वह अपने गृह राज्य वापस जाना चाहते हैं उनके लिए परिवहन की व्यवस्था कराई जाए. ये सभी प्रवासी मजदूर...
More »संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढ़ियों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं
-इंडिया टूडे, बीसवीं सदी की महामंदी, 1991 के भारतीय आर्थिक संकट और 2008 की ग्लोबल बैंकिंग आपदा का इतिहास हमें कुरेद-कुरेद कर बताता है कि अंतत: वही जीतते हैं जो एक अच्छी आपदा को बर्बाद नहीं करते. संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढि़यों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं. बड़े बदलाव के लिए किसी बड़े संकट का इंतजार था तो मुराद अब पूरी हो गई है. संकट में...
More »गवई बंधुओं की आंखें फोड़ने की अमानुषिक घटना और दलित पैंथर का संघर्ष
- द कारवां, आंबेडकर के परिनिर्वाण के बाद दलित आंदोलन खत्म तो नहीं हुए, लेकिन उसकी गति धीमी और राजनीतिक मोर्चे पर दिशाहीन भी हो गई थी. वह 1970 का दशक था जब दलितों के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाएं पूरे देश में हो रही थीं. चूंकि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर मुखालिफत नहीं हो रहा था, इसलिए दिन पर दिन उत्पीड़कों-शोषकों का हौसला बढ़ता जा रहा था. ऐसे समय में दलित...
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